रांची, मनोज सिंह. झारखंड में बड़ी संख्या में किसान ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ का लाभ लेने से वंचित रह जा रहे हैं. किसानों का ई-केवाइसी तो हो जा रहा है, लेकिन जमीन का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. जिला स्तर पर इसे पूरा करने में रुचि नहीं ली जा रही है. इस कारण नौ लाख से अधिक भूमि सत्यापन के मामले लंबित हैं.
परिवार से एक व्यक्ति को ही जोड़ा जायेगा
भारत सरकार ने तय किया था कि एक परिवार से एक व्यक्ति को ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से जोड़ा जायेगा. इसके लिए भूमि का सत्यापन करना जरूरी है. यह काम जिला में अंचल कार्यालय के स्तर से होना है. लेकिन, कई जिलों में अंचल कार्यालय इस काम में रुचि नहीं ले रहे हैं. जिससे सत्यापन का काम धीमा है. कई प्रखंडों में प्रज्ञा केंद्र में तकनीकी कारणों से भूमि का सत्यापन नहीं हो रहा है. वहीं, जिले के अधिकारी कहते हैं कि यह लाभ किसानों को मिलना है. लेकिन, बार-बार आग्रह के बाद भी किसान सत्यापन के लिए नहीं आ रहे हैं. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग सभी जिलों को बार-बार भूमि सत्यापन और ई-केवाइसी कराने के लिए पत्र लिख रहा है. मुख्य सचिव स्तर से भी जिलों को कई बार निर्देश दिया गया है. किसानों का कहना है कि अंचल कार्यालय में उनकी बातें नहीं सुनी जाती हैं. प्रज्ञा केंद्र में आवेदन करने के बाद अंचल से ही उसका वेरिफिकेशन होना है.
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हजारीबाग और रांची जिले में सबसे अधिक लंबित मामले
राज्य में भूमि सत्यापन के सबसे अधिक मामले रांची और हजारीबाग जिले में लंबित हैं. दोनों जिलों में एक लाख से अधिक भूमि सत्यापन का लक्ष्य 2023-24 तक तय किया गया है. चतरा जिले में मात्र 1700 के आसपास ही किसानों का भूमि सत्यापन का मामला लंबित है. इस स्कीम के तहत भारत सरकार किसानों को साल में छह हजार रुपये देती है. किसानों को अब तक 14 किस्त मिल चुकी है. 15वीं किस्त की राशि भी जल्द खाते में जानेवाली है. कुल 27 लाख से अधिक किसानों ने इस स्कीम के लिए इंट्री करा रखी है.