राज्य सरकार ने झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ के विकास की योजना बनायी है. लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का केंद्र रहे बूढ़ा पहाड़ का बड़ा हिस्सा झारखंड के दो जिलों लातेहार व गढ़वा में पड़ता है. केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास से हाल ही में बूढ़ा पहाड़ को नक्सल मुक्त किया गया है.
सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भू-राजस्व सचिव अमिताभ कौशल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनायी गयी थी. कमेटी में लातेहार और गढ़वा के डीसी भी बतौर सदस्य शामिल थे. समिति ने बूढ़ा पहाड़ के विकास की योजना तैयार कर ली है और इसके लिए अहम सुझाव दिये हैं.
महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप से जोड़ कर उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने और बच्चों को स्कूल ले जाकर शिक्षित करने पर जोर दिया गया है. क्षेत्र के सभी परिवारों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने की बात कही गयी है. इसके लिए मनरेगा समेत अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं से लोगों को जोड़ने की पहल करने की सलाह दी गयी है. क्षेत्र में सभी लोगों को पक्का आवास निर्माण कर देने के अलावा अन्य मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.
गढ़वा डीसी शेखर जमुआर बताते हैं कि बूढ़ा पहाड़ आदिवासी बहुत इलाका है. यहां विकास योजनाओं के लिए लोगों को सहमत करना बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि समिति ने विकास के विभिन्न बिंदुओं पर अध्ययन और क्षेत्र का सर्वे कर योजना बनायी है. रिपोर्ट जल्दी ही राज्य सरकार को सौंपी जायेगी.
रिपोर्ट बनाने के पूर्व बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र का सर्वे किया गया है. पंचायत, गांव और वहां बसे सभी परिवारों का सर्वे किया गया है. सारंडा एक्शन प्लान की तरह बूढ़ा पहाड़ के विकास के लिए इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान तैयार किया गया है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में कुल 11 गांवों को शामिल कर विकास योजना बनायी गयी है. इसमें से छह गांव पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जबकि पांच गांव गढ़वा जिला में पड़ते हैं. समिति ने इन सभी गांवों के सामाजिक और आर्थिक विकास की योजना बनायी है. वहां आधारभूत संरचना रोड तैयार करने के लिए पुल-पुलिया निर्माण करने, आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य सब सेंटर बनाने का सुझाव दिया गया है.