रांची : विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नीतिगत सवाल किये. इसमें विस्थापन आयोग का गठन करने, हिंदी को जेएसएससी की परीक्षा में शामिल करने व अनुबंधकर्मियों के सेवा शर्तों संबंधित सवाल शामिल थे. मुख्यमंत्री ने विधायकों के इन नीतिगत सवालों पर सरकार की नीति स्पष्ट की. विधायक उमाशंकर अकेला व अंबा प्रसाद के सवाल को नीतिगत नहीं माना गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में विस्थापन गंभीर समस्या है. झारखंड वर्षों से विस्थापन की समस्या झेल रहा है.
खनन कार्य 100 वर्षों से चल रहा है. उन्होंने कहा कि विस्थापन आयोग के गठन का मामला सरकार के पास विचाराधीन है और सरकार बहुत जल्द इस पर निर्णय लेने जा रही है. विधायक सुदेश महतो द्वारा मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में पूछे गये सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने यह बातें कहीं.
सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि सरकार कब तक राज्य में विस्थापन आयोग का गठन करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग डेढ़ लाख विस्थापित परिवार को वर्षों से मुआवजा नहीं मिला है. धड़ल्ले से खनन हो रहा है. टंडवा, पतरातू,केरेडारी में 120 दिन से लोग धरना पर बैठे हुए हैं. महिलाएं सड़क पर खड़ी हैं.
अनुबंधकर्मियों के सेवाशर्त से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे लेकर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी है. कमेटी के निर्णय पर ही सरकार फैसला लेगी. हाल में ही अनुबंधकर्मियों का डीए 113 से बढ़ा कर 196% किया गया है. आउटसोर्सिंग कर्मियों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार को लेकर केंद्र समेत सभी राज्य सरकार गंभीर हैं.
सरकार ने निजी क्षेत्रों में स्थानीय को लेकर 75 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है. केंद्र व राज्य की कई योजनाओं में थोड़े समय के लिए कर्मियों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में काम कराने के लिए आउटसोर्सिंग की मदद ली जाती है. विधायक अनंत ओझा ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में अनुबंधकर्मियों की समस्याओं को उठाते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था.
Posted: Sameer Oraon