झारखंड हाईकोर्ट ने अस्पतालों, क्लिनिक व नर्सिंग होम से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान स्टेट लेबल इंवायरमेंटल असेसमेंट इंपैक्ट अथॉरिटी (सिया) के जवाब को देखा. इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अद्यतन जानकारी दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा कि किन-किन जिलों में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा चुका है. कहां-कहां वह काम कर रहा है और कहां-कहां उसे अभी स्थापित नहीं किया जा सका है. इस पर पूरी जानकारी से अवगत कराने को कहा. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.
इससे पूर्व सिया की ओर से जवाब दायर कर राज्य के 11 जिलों में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से संबंधित जानकारी दी गयी. इसमें बताया गया कि लोहरदगा, सरायकेला-खरसावां, धनबाद में बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इंवायरमेंटल क्लियरेंस मिल चुका है. ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का कार्य चल रहा है. दुमका, देवघर, पाकुड़, पलामू में अब तक इंवायरमेंटल क्लियरेंस नहीं मिल पाया है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता ऋतु कुमार, अधिवक्ता समावेश भंजदेव ने पैरवी की.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड ह्यूमन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थी ने झारखंड में इंवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का आग्रह किया है. राज्य में अस्पतालों, क्लीनिक, नर्सिंग होम से प्रतिदिन बायो मेडिकल कचरा निकलता है, जिसका निष्पादन वैज्ञानिक तरीके से नहीं किया जाता है.
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