झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ा तालाब की साफ-सफाई, कांके डैम, हटिया डैम, हिनू नदी सहित राज्य के जलस्रोतों के रखरखाव व अतिक्रमण को लेकर दर्ज विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रतिवादियों के जवाब पर असंतोष जताया. खंडपीठ ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम से पूछा कि जलस्रोतों की जमीन से अतिक्रमण हटाने की दिशा में क्या कार्रवाई की गयी है. कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया गया है या नहीं.
खंडपीठ ने रांची नगर निगम को दोबारा शपथ पत्र दायर कर हिनू नदी, कांके डैम सहित अन्य जलस्रोतों के आसपास से अतिक्रमण हटाने की दिशा में अब तक की गयी कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही कांके डैम के सुंदरीकरण को लेकर दायर आइए याचिका पर नगर विकास विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग व रांची के उपायुक्त को शपथ पत्र दायर करने को कहा गया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने तीन अप्रैल की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि जलस्रोतों के रख रखाव व अतिक्रमण को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. वहीं कांके डैम, धुर्वा डैम को लेकर राजीव कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. अधिवक्ता खुशबू कटारूका ने बड़ा तालाब के प्रदूषित जल व साफ-सफाई को लेकर जनहित याचिका दायर की है. सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है.
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने मोरहाबादी स्थित 12 मंजिला रतन हाइट्स बिल्डिंग में दरार आने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत ने प्रार्थी व प्रतिवादियों का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने रांची के उपायुक्त को निर्देश दिया कि रतन हाईट्स बिल्डिंग के बगल में प्रतिवादी वीकेएस रियल स्टेट कंस्ट्रक्शन की ओर से बनाये जा रहे रिटेनिंग वॉल को बीआइटी मेसरा से 24 मार्च तक जांच कराते हुए रिपोर्ट दायर कर बतायें कि वह सुरक्षित है या नहीं. अदालत ने पूर्व में निर्माण कार्य पर रोक से संबंधित पारित अंतरिम आदेश को बरकरार रखा. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 27 मार्च की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व फ्लैट्स मालिकों की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि पूर्व में अदालत ने रतन हाइट्स बिल्डिंग के बगल में रिटेनिंग वॉल बनाने का आदेश दिया था.
रिटेनिंग वॉल बनाया जा रहा है. इस पर उपायुक्त ने बीआइटी मेसरा से रिपोर्ट ली थी, तो बताया गया था कि रिटेनिंग वॉल सही तरीके से नहीं बन रहा है. इसके बाद उपायुक्त की ओर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. फ्लैट मालिकों की ओर से उपायुक्त से बीआइटी से डिजाइन बनवाने का आग्रह किया गया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. यदि रिटेनिंग वॉल ठीक से नहीं बना, तो भविष्य में कोई भी हादसा हो सकता है. वहीं रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा, जबकि जमीन मालिक की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रतन हाइट्स सोसाइटी की ओर से याचिका दायर की गयी है. कहा गया है कि बिल्डर वीकेएस कंस्ट्रक्शन द्वारा 46 कट्ठा जमीन पर जी प्लस-पांच मंजिला बिल्डिंग बनाने के लिए गड्ढा खोदा गया. इससे रतन हाइट्स बिल्डिंग की दीवार में दरार आ गयी. वर्ष 2008 में 86 कट्ठा जमीन पर भवन बनाने के लिए नक्शा स्वीकृत हुआ था, लेकिन 40 कट्ठा जमीन में ही बिल्डिंग बनाया गया था.