एसटी-एससी मामले में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने प्रतुल शाहदेव की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई के बाद उसे स्वीकार कर लिया. साथ ही उनके खिलाफ लातेहार के बालूमाथ थाना में दर्ज एसटी-एससी केस सहित निचली अदालत में चल रहे सारे क्रिमिनल प्रोसिडिंग को निरस्त कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि एसटी/एससी कानून अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की सुरक्षा के लिए है. इसका उद्देश्य झूठे मामले दर्ज करके स्कोर सेट करना नहीं है. एसटी/एससी कानून का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सभी तथ्यों, कारणों और विश्लेषण को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि लातेहार में मामला दुर्भावनापूर्ण तरीके से दायर किया गया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन नहीं हुआ है. ऐसे में बालूमाथ थाना में दर्ज केस से उत्पन्न संपूर्ण आपराधिक कार्यवाही (क्रिमिनल प्रोसिडिंग्स) को निरस्त किया जाता है.
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने बहस की. उन्होंने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि प्रार्थी द्वारा शासन-प्रशासन के गठबंधन से चंदवा के अभिजीत प्लांट में चलाये जा रहे स्क्रैप की लूट के खिलाफ आवाज उठायी गयी थी. इस कारण स्क्रैप माफिया की शह पर यह प्राथमिकी दर्ज की गयी. उन्होंने दस्तावेज पेश कर अदालत में शिकायतकर्ता और गवाहों के आपराधिक इतिहास की भी जानकारी दी. वरीय अधिवक्ता ने प्राथमिकी दर्ज करने में छह माह के विलंब पर भी गंभीर सवाल उठाये.
वहीं झारखंड सरकार की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार, दीपंकर तथा शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता साहिल ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी प्रतुल शाहदेव ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी. शिकायतकर्ता मंटू राम ने प्रार्थी प्रतुल शाहदेव पर मारपीट करने, जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने तथा हत्या के प्रयास करने का आरोप लगाते हुए बालूमाथ थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.