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हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे और निक्की प्रधान आज पहुंचेगी रांची, जानें दोनों खिलाड़ियों का अब तक का सफर

झारखंड का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय हॉकी खिलाड़ी आज पहुंचेगी रांची. राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ने पहले ही घोषणा की है कि राज्य पहुंचने पर दोनों खिलाड़ियों का स्वागत किया जायेगा.

jharkhand Hockey Players in tokyo olympics रांची : टोक्यो ओलंपिक का समापन हो चुका है, भारत का हॉकी में प्रतिनिधित्व करने वाली झारखंड की आन बान और शान सलीमा टेटे और निक्की प्रधान आज राज्य की धरती पर कदम रखेंगी. दोनों बेटियां रांची के लिए दिल्ली से रवाना हो गईं हैं. पूरा झारखंड उन दोनों के स्वागत के लिए बांहे फैला कर खड़ा है.

राज्य के सीएम ने ये घोषणा पहले ही कर दी है कि दोनों खिलाड़ियों को झारखंड पहुंचने पर सम्मानित किया जायेगा और प्रोत्साहन के तौर पर दोनों को 50, 50 लाख रूपये का इनाम दिया जायेगा. उनके साथ हॉकी के अध्यक्ष भोला नाथ सिंह भी रांची पहुंचेगे. जानकारी के मुताबिक दोनों के 12 बजे तक रांची पहुंचने की उम्मीद है.

तो आईये नजर डालते उन दोनों के सफर पर एक नजर
निक्की प्रधान

निक्की प्रधान शुरू से ही काफी तेज दौड़ती थी जिसे देख तत्कालीन जिला खेल पदाधिकारी व वेटरन एथलेटिक कोच सरवर इमाम ने उसे एथलेटिक्स से जुड़ने को कहा, लेकिन उस वक्त दशरथ महतो उन्हें हॉकी की प्रशिक्षण देते थे. जैसे उनके कोच को ये बात पता चली तो वो सीधे सरवर इमाम से मिले और कहा कि वो हॉकी ही खलेगी. इस वजह से दोनों के बीच में खूब गर्मागरम बहस भी हुई लेकिन दशरथ महतो अपने जिद पर अड़े रहे और प्रशिक्षण देना जारी रखा.

बस यह उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट भी रहा. बता दें कि उनके पास खेलने के लिए हॉकी स्टिक भी नहीं थी वो बांस के डंडे से ही प्रैक्टिस करती थी. एक बार तो उनकी मां को स्टेडियम में भी घुसने से रोक दिया गया था. ये बात तब की है जब वो रांची में हॉकी का मैच खेल रही थी. बता दें कि शुरूआती दौर में लोग उनके हॉकी खलने पर भी खिल्ली उड़ाते थे.

सलीमा टेटे

सलीमा टेटे झारखंड के सबसे ज्यादा माओवादी प्रभावित जिलों में से एक सिमडेगा के बड़कीचापर गांव की रहने वाली हैं. बता दें कि सलीमा टेटे ने साल 2018 के युवा ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम की कप्तान भी थी. सलीमा टेटे को हॉकी खेलने की प्रेरणा उनके पिता से मिली वैसे तो उनके पिता 1 किसान हैं लेकिन वो भी हॉकी के अच्छे खिलाड़ी हुआ करते थे. यह वजह है कि वो उन्हें हॉकी खेलने के प्रेरित किया.

बता दें कि हॉकी स्टिक के अभाव में सलीमा टेटे अभ्यास करने के लिए लकड़ी की छड़ियों का इस्तेमाल करती थीं. उनके सपने सच करने के लिए उनकी बहन ने ने दूसरों के घरों में मेड का भी काम किया. जब वो वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने गईं थी तो उनके पास ट्रॉली बैग तक नहीं था, कुछ परिचितों ने किसी से पुराना बैग लेकर उन्हें वो बैग दिया था.

Posted By : Sameer Oraon

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