बड़गाईं अंचल में होनेवाली नाजायज कमाई से रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन को हर महीने दो से ढाई लाख रुपये मिलते थे. यानी सिर्फ एक अंचल से ही हर साल उन्हें करीब 25 लाख रुपये मिलते थे. उधर, सेना की जमीन और चेशायर होम रोड की जमीन के मामले में हुई जालसाजी में मदद करने के लिए तय रिश्वत की रकम में जमीन दलाल अफसर अली उर्फ अफसू खान ने प्रेम प्रकाश से घूस के एक करोड़ रुपये एडजस्ट कर लिये. अफसर अली के 1.5 करोड़ रुपये प्रेम प्रकाश के पास बकाया थे. जालसाजी कर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले में जारी जांच के दौरान ईडी को इन तथ्यों की जानकारी मिली है.
गौरतलब है कि ईडी ने 13 मई को छवि रंजन, बड़गाईं के अंचल अधिकारी मनोज कुमार, राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप सहित अन्य के ठिकानों पर छापा मारा था. छापामारी के दौरान भानु के घर से अंचल कार्यालय की जमीन से संबंधित मूल दस्तावेज जब्त किये गये थे. छापामारी के बाद भानु ने पूछताछ के दौरान बड़गाईं अंचल में जारी कमीशनखोरी का खुलासा किया था.
उसने ईडी को दिये बयान में बताया था कि अंचल में जमीन से जुड़े हर काम का रेट तय है. रेट के अनुसार भुगतान करने पर ही जमीन से जुड़े काम होते थे. रांची के उपायुक्त ने कमीशन की रकम में अपना हिस्सा तय कर रखा था. बड़गाईं अंचल में काम के लिए निर्धारित रेट पर होनेवाली वसूली में से छवि रंजन को हर महीने दो से ढाई लाख रुपये का भुगतान किया जाता था.
पूछताछ के दौरान अफसर अली उर्फ अफसू खान ने जालसाजी कर जमीन की खरीद-बिक्री के दौरान कमीशनखोरी की बात स्वीकार की. सेना के कब्जेवाली जमीन के सिलसिले में दिये गये बयान में उसने यह स्वीकार किया है कि कोलकाता के रजिस्ट्री कार्यालय में रखे गये मूल दस्तावेज में जालसाजी कर प्रदीप बागची के पिता प्रफुल्ल बागची को मालिक बनाया गया था. फर्जी डीड में प्रदीप बागची को मालिक बनाये जाने के बाद उसने जमीन की बिक्री के लिए प्रेम प्रकाश से संपर्क किया.
इसके बाद प्रेम प्रकाश ने तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन से बात की. सेना के कब्जेवाली जमीन की डील में प्रेम प्रकाश के माध्यम से छवि रंजन को एक करोड़ रुपये देने की बात तय हुई, लेकिन जमीन दलाल अफसर अली ने इस रकम का भुगतान प्रेम प्रकाश को करने की जगह उसके पास बकाया 1.50 करोड़ रुपये में से एक करोड़ की कटौती कर ली. उसने प्रेम प्रकाश को इस काम के बदले छवि रंजन को देने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया.
अफसर अली ने ईडी को दिये बयान में बताया है कि चेशायर होम रोड स्थित एक एकड़ जमीन के दस्तावेज में जालसाजी के बाद उसे प्रेम प्रकाश ने अपने करीबी पुनीत भार्गव के नाम पर खरीदी. इसके बाद इसे विष्णु अग्रवाल को बेच दिया. इस डील में उसे प्रेम प्रकाश से 1.50 करोड़ रुपये लेने थे, लेकिन प्रेम प्रकाश ने इस राशि का भुगतान उसे नहीं किया था. इसलिए उसने सेना के कब्जेवाली जमीन की डील में तय रकम अपने बकाये में से काट ली.