रांची, शकील अख्तर:
फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में सेना और चेशायर होम रोड स्थित जमीन के दस्तावेज में हेराफेरी करने की पुष्टि हुई है. फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और राज्य पुलिस के बीच टकराव की आशंका जतायी जा रही है. सेना की जमीन के मामले में पुलिस ने कोर्ट के आदेश के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी. चेशायर होम रोड की जमीन के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी में पुलिस ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी कि यह मामला दीवानी है. सेना के कब्जेवाली जमीन जगत बंधु टी स्टेट और चेशायर रोड होम की जमीन विष्णु अग्रवाल ने खरीदी है.
इडी ने सेना के कब्जेवाली और चेशायर होम रोड की जमीन से संबंधित दस्तावेज विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजी थी. प्रयोगशाला ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट निदेशालय को भेज दी है. रिपोर्ट में जमीन के सेल डीड में हेराफेरी करने की पुष्टि की गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संबंधित दस्तावेज में जमीन मालिक के तौर पर जोड़े गये नाम मूल सेल डीड की लिखावट से अलग हैं. इसे किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखा गया है. दस्तावेज में जोड़े गये अंश में इस्तेमाल की गयी स्याही भी अलग है. जमीन के रिकार्ड से जुड़े दूसरे दस्तावेज में वर्णित कुल पेज की संख्या से ज्यादा पेज मिले हैं.
इन्हें बाद में लिख कर संबंधित वॉल्यूम में चिपका दिया गया है. रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख बड़गाईं अंचल से संबंधित दोनों ही जमीन के लिए किया गया है. इडी ने पीएमएलए की धारा-16 में निहित शक्तियों को इस्तेमाल करने के बाद बड़गाईं और कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय का सर्वे किया. सर्वे के दौरान मूल दस्तावेज जब्त कर कोर्ट में जमा किया और कोर्ट की अनुमति के बाद उसे जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा था.
प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर किया गया था शिकायतवाद : इडी की जांच में पाया गया है कि सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद-बिक्री में हुई जालसाजी के सिलसिले में न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की. उपेंद्र कुमार ने इस जालसाजी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की मांग को लेकर न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में शिकायत वाद याचिका (4466/22) दायर की थी. न्यायालय ने इस मामले में बरियातू पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया.
लेकिन, पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की. पुलिस की ओर से दलील दी गयी कि घटनास्थल बरियातू थाना के क्षेत्राधिकार में नहीं है. जुडिशियल कमिश्नर की अदालत ने इस मामले में घटनास्थल से संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई.
चेशायर होम रोड के मामले में भी एक शिकायत वाद याचिका(3111/2021) दायर किया गया था. सुनवाई के बाद न्यायालय के आदेश के आलोक में प्राथमिकी दर्ज(399/2022) दर्ज की गयी थी. इसमें दस्तावेज में जालसाजी करने का आरोप लगाया गया था. लेकिन, पुलिस ने जांच के बाद इस यह कहते हुए बंद कर दिया कि यह दीवानी मामला है.
1. सेना के कब्जेवाली ज़मीन के कोलकाता से बनवाये गये दस्तावेज. इसमें 1932 में प्रदीप बागची के पिता प्रफुल्ल बागची का पता पश्चिम बंगाल लिखा है.
2. चेशायर होम रोड स्थित ज़मीन के दस्तावेज, जिसमें लिखावट अलग-अलग है.
केस बंद करने देने की वजह से इडी और पुलिस के बीच फिर वैसा ही टकराव होने की आशंका है जैसा बरहरवा टोल विवाद में पंकज मिश्रा और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को क्लीन चिट देने के मुद्दे पर हुआ था. इस मामले में इडी ने पुलिस अधिकारियों को समन जारी किया था. इसके बाद सरकार ने इडी के अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को हाइकोर्ट का क्षेत्राधिकार बताया था. इसके बाद व्यक्तिगत तौर पर पुलिस अधिकारियों ने हाइकोर्ट में इडी के समन को चुनौती दी. लेकिन, कोर्ट ने उन्हें इडी के अधिकारियों के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया.