सीसीएल में पिछले वित्तीय वर्ष तक कुल 1165 कानूनी मामले लंबित हैं. इसमें कई ऐसे मामले हैं, जो 1984-85 से ही लंबित हैं. यह मामले वित्तीय संबंधी हैं. इसके अलावा कर्मचारियों व अधिकारियों से संबंधित मामले भी अदालतों में लंबित हैं. लंबित वित्तीय कानूनी मामले के कारण सीसीएल का करीब 6000 करोड़ रुपये फंसा हुआ है. इसमें सबसे अधिक मामला रॉयल्टी का है. इसके अलावा सेल्स टैक्स का 1452.85 करोड़ रुपये का मामला लंबित है.
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के कुल 322 मामले लंबित
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के कुल 322 मामले लंबित हैं. इसमें 88.96 करोड़ रुपये फंसा हुआ है. इंट्री टैक्स सेस का एक मामला 2006-08 से सुप्रीम कोर्ट में फंसा हुआ है. यहां करीब 25 करोड़ रुपये का विवाद चल रहा है. सीसीएल में इसके अलावा सर्विस टैक्स और एक्ससाइज के करीब 31 मामले लंबित हैं. इसमें 1099 करोड़ रुपये भी लंबित हैं. इनकम टैक्स का 30 मामला भी लंबित है. इसमें करीब 1050 करोड़ रुपये फंसा हुआ है. सीसीएल ने इन मामलों को निपटने का प्रयास शुरू कर दिया है. इसके लिए मध्यस्थता या अन्य कानूनसम्मत रास्ता खोजा जा रहा है.
37 साल से लंबित हैं कई मामले
सीसीएल में रॉयल्टी के कई मामले 37 साल से लंबित हैं. धनबाद, रांची, बोकारो, हजारीबाग के जिला खनन पदाधिकारी के यहां रॉयल्टी सेस के 62 मामले चल रहे हैं. यह मामला करीब 854 करोड़ रुपये का है. इसमें कई मामले 1984-85 से चल रहे हैं. झारखंड हाइकोर्ट में रॉयल्टी सेस का करीब 1316 करोड़ रुपये का मामला चल रहा है. इसमें भी कई मामला 1987-88 से चल रहे हैं. सीसीएल का जेसीसीटी (ए) हजारीबाग, रांची में भी दर्जनों मामले लंबित हैं. इसमें कई मामले 1989-90 का भी है. इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के 322 मामले डीसीसीटी, जेसीसीटी, सीसीटी रांची और हाइकोर्ट में लंबित हैं. यह कुल करीब 88.96 करोड़ रुपये का मामला है. सीसीएल के सर्विस टैक्स के कई मामले वर्ष 2005-06 से लंबित हैं. यह मामला रांची के आयुक्त के साथ-साथ कोलकाता सीइएसएटी तथा झारखंड हाइकोर्ट में भी लंबित हैं. इनकम टैक्स का करीब 1050 करोड़ रुपये का मामला राज्य स्तरीय ट्रिब्यूनल में लंबित चल रहा है.
किस मद में कितना बकाया (करोड़ रुपये में)
मद कुल मामला विवादित राशि
रॉयल्टी 108 2365.65
सेल्स टैक्स 673 1452.85
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी 322 88.96
सर्विस व एक्साइज 32 1099.00
इनकम टैक्स 30 1050
क्या कहते हैं अधिकारी
यह सही है कि बहुत मामला कानूनी विवाद में है. इसको कैसे दूर किया जाये, इस पर विचार किया जा रहा है. कोशिश हो रही है कि मध्यस्थता या अन्य कानूनी माध्यम से इसका निपटारा किया जाये. हाल के दिनों में इस दिशा में पहल भी हुई है. कुछ अच्छे परिणाम की उम्मीद है.
एचएन मिश्र, निदेशक कार्मिक
रिपोर्ट : मनोज सिंह, रांची