लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की गोलबंदी हो रही है. विपक्षी एकता के बाद राजनीति के समीकरण और सीटों का गणित भी बदलेगा. झारखंड की राजनीति में भी इसका असर दिखेगा. प्रदेश में फिलहाल यूपीए में झामुमो, कांग्रेस और राजद का गठजोड़ है. आनेवाले समय में विपक्षी एकता का दायरा बढ़ता है, तो यहां भी सीटों के बंटवारे में पेच फंसेगा.
इस नये गठबंधन में राजद और जदयू अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश करेंगे. वही वामदल भी एक कोण इस गठबंधन में बनाने का प्रयास करेंगे. लोकसभा चुनाव में यूपीए ने किसी तरह रास्ता निकाल भी लिया, तो विधानसभा में किचकिच बढ़ सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हिस्सेदारी ज्यादा थी, वहीं विधानसभा चुनाव में झामुमो ने लीड किया था.
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, झामुमो और राजद के बीच लिखित समझौता हुआ था. इसमें पहले कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं, जिसमें पार्टी ने अपने हिस्से की दो सीट गोड्डा और कोडरमा झाविमो को दिया था. वहीं झामुमो दुमका, राजमहल, गिरिडीह और जमशेदपुर से चुनावी लड़े थे. राजद पलामू से चुनावी मैदान में उतरा. नयी परिस्थिति में वामदल लोकसभा की सीट पर दावेदारी कर सकते हैं.
माले का कोडरमा लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन रहा है. ऐसे में यूपीए के अंदर सीटों के बंटवारे की तस्वीर बदल सकती है. हालांकि जदयू का प्रदेश में लोकसभा के किसी सीटों पर प्रभाव नहीं है, ऐसे में जदयू की दावेदारी खारिज हो सकती है. वहीं राजद यूपीए गठबंधन में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग कर सकता है. राजद की नजर इस बार कोडरमा लोकसभ सीट पर होगी. राजद पलामू के साथ कोडरमा की मांग कर सकता है. यहां से राजद के एक पूर्व प्रत्याशी जोर लगा रहे हैं.