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धीमी ही सही…आसमां से बरसने लगी है उम्मीद की बारिश, झारखंड के लोगों को मिल रहा सुकून

19 जून को मॉनसून झारखंड में आने के बाद से कुछ बारिश शुरू हुई है. उससे पहले पूरा राज्य गर्मी की चपेट था. रांची का अधिकतम तापमान लगातार 40 डिग्री के आसपास चल रहा था. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि एक जुलाई तक राजधानी और आसपास में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होगी.

Jharkhand Monsoon: पूरे झारखंड में मॉनसून सक्रिय है, लेकिन कमजोर है. फिर भी तप रही धरती पर सुकून की बूंदें गिरने लगी हैं. एक तरफ गर्मी से राहत है, तो दूसरी तरफ किसानों के चेहरे पर हल्की मुस्कान. किसानों को विश्वास है कि एक-दो दिन में धान के खेत में हल चलने लगेंगे. जब भी बादल छा रहा है, उस समय किसान खुशी से झूम उठते हैं. पिछले 24 घंटे में राजधानी और आसपास के जिलों में करीब 25 मिमी बारिश हुई है. आखिरकार जून के आखिरी में सुकून की बारिश अच्छी खबर है.

25 दिनों में हुई
55 मिमी बारिश

राजधानी में पिछले 25 दिनों में 55 मिमी बारिश हुई है. 22 जून को ही राजधानी में करीब 25 मिमी बारिश हुई है. 19 जून को मॉनसून झारखंड में आने के बाद से कुछ बारिश शुरू हुई है. उससे पहले पूरा राज्य गर्मी की चपेट था. रांची का अधिकतम तापमान लगातार 40 डिग्री के आसपास चल रहा था. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि एक जुलाई तक राजधानी और आसपास में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होगी. कहीं-कहीं वज्रपात की भी उम्मीद है.

30 डिग्री से नीचे आया अधिकतम तापमान

राजधानी का अधिकतम तापमान 30 डिग्री से भी नीचे चल आया है. किसानों को भी राहत मिली है. लोगों को उम्मीद है कि नीचे गिरे जलस्तर में थोड़ा सुधार होगा. नदी-नालों में पानी आने से इसके रिचार्ज होने की उम्मीद है. देर ही सही, दुरुस्त बारिश की उम्मीद के साथ खेती-बारी की तैयारी शुरू हो गयी है. सरकार की चिंता भी धीरे-धीरे कम हो रही है.

बारिश इसलिए है जरूरी

जुलाई के पहले सप्ताह से सावन भी शुरू हो जायेगा. रविवार से बारिश ने गति पकड़ ली है. यहां 15 जून से मॉनसून आगमन की संभावित तिथि है. इस वर्ष करीब एक सप्ताह देर से मॉनसून आया है. अच्छी बारिश का सबसे अच्छा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ता है. जहां सिंचाई की सुविधा मौजूद नहीं है, वहां बारिश से अच्छी फसल होने की संभावना बढ़ जाती है. अच्छे उत्पादन से किसानों को फायदा होगा और खाद्यान्नों की मूल्यवृद्धि भी नियंत्रित रहेगी. अच्छे माॅनसून से पीने के पानी की उपलब्धता संबंधी समस्या का भी काफी हद तक समाधान होता है. नदियों, तालाबों में पर्याप्त मात्रा में पानी जमा हो जाता है. भूजल का भी पुनर्भरण होता है. मॉनूसन के चार महीनों में अच्छी बारिश होने से नदियों और जलाशयों का जलस्तर बढ़ जाता है. इससे बिजली उत्पादन भी अच्छा होता है. बिजली की मांग कम हो जाती है. वहीं वर्षा कम हो और जलस्तर कम हो जाए, तो बिजली उत्पादन भी प्रभावित होता है. मॉनसून की बारिश जहां एक ओर खेती-बाड़ी, जलाशयों, नदियों को पानी से लबालब कर देती है, वहीं भीषण गर्मी से राहत भी दिलाती है.

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2835 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य

झारखंड सरकार ने इस साल खरीफ के सीजन में 2835 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा है. इससे करीब 86.26 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन हो सकता है. 1800 हजार हेक्टेयर में धान, 312 हजार हेक्टेयर में मक्का, 50 हजार हेक्टेयर में मोटा अनाज, 60 हजार हेक्टेयर में दलहन और 613 हजार हेक्टेयर में तेलहन लगाने का लक्ष्य है. विभिन्न कंपनियों को 20 जून तक 68083 क्विंटल बीज आपूर्ति का ऑर्डर दिया था. इसकी तुलना में सरकार 36820 क्विंटल बीज खरीद चुकी है. वहीं 34446 क्विटंल बीज की आपूर्ति कंपनियों ने कर दी है. इसमें 14218 क्विंटल बीज बंट चुका है. वैसे जिले जहां छींटा से धान होना है, वहां बीजों की आपूर्ति पहले की जा रही है.

झारखंड में 10 साल में बारिश की स्थिति (मिमी में)

  • 2013 – 844.9

  • 2014 – 930.3

  • 2015 – 941.9

  • 2016 – 1101.8

  • 2017 – 988.1

  • 2018 – 785

  • 2019 – 858.9

  • 2020 – 902.4

  • 2021 – 1041.5

  • 2022 – 817.6

कांके डैम में 20 दिनों का ही बचा था पानी

कांके डैम में 20 दिनों का ही पानी बचा था. फिलहाल 15.5 फीट पानी है. यहां से न्यूनतम सात फीट तक जलापूर्ति की जा सकती है. फिलहाल, डैम में गाद ज्यादा होने की वजह से 10 फीट तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है. बारिश नहीं होने से जलापूर्ति में दिक्कत होती. मॉनसून से लोगों में उम्मीद बढ़ी है. इस वर्ष अप्रैल से तुलना करें, तो राजधानी के तीनों डैमों का जलस्तर तीन से पांच फीट तक कम हुआ है. हटिया डैम में ढाई फीट जलस्तर घटा है. वहीं रुक्का व कांके डैम का जलस्तर पांच फीट तक कम हुआ है. हटिया डैम में फिलहाल 27.5 फीट पानी है, जिससे तीन-चार माह तक निर्बाध रूप से जलापूर्ति की जा सकती है. वहीं राजधानी की सबसे बड़ी आबादी को जलापूर्ति करने वाले रुक्का डैम का जलस्तर घट कर 15.5 फीट हो गया है. इस डैम से 14 फीट तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है. रुक्का डैम से फिलहाल 40 दिनों तक जलापूर्ति का कोई संकट नहीं है.

पिछले दो माह में डैमों के जलस्तर की स्थिति

डैम अप्रैल जून

हटिया 30 फीट 27.5 फीट

कांके 20 फीट 15.5 फीट

रुक्का 20.8 फीट 15.5 फीट

खरीफ झारखंड की प्रमुख फसल है. इसको सफल करने के लिए सभी जिलों में बीज आपूर्ति कर दी गयी है. वितरण भी किया जा रहा है. अब तक पिछले साल से अधिक बीज का वितरण हुआ है. किसानों को समय पर खाद और बीज बिना बिचौलिये के मिले, इसकी व्यवस्था भी की गयी है.

-चंदन कुमार, कृषि निदेशक, झारखंड

यह उम्मीद की बारिश है. किसानों को विश्वास है कि अब खेती का काम शुरू होगा. खरीफ झारखंड के किसानों के लिए महत्वपूर्ण है. यहां के किसानों को साल भर का भोजन मिलता है.

-विनोद केसरी, नगड़ी, किसान

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