Jharkhand News, रांची न्यूज : किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) झारखंड के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. किसानों को खेती के लिए आसान दर पर ऋण मिल रहा है. ऋण का उपयोग कर किसान खेती के लिए बीज, खाद व जरूरी उपकरण खरीद रहे हैं. उन्हें साहूकारों के चंगुल से भी मुक्ति मिल रही है. सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी से जोड़ने का निर्देश दिया है. अक्तूबर 2021 के पहले सप्ताह तक राज्य के 2,01,687 लाभुकों के ऋण के लिए 68,516 लाख रुपये की स्वीकृत दी गयी थी. कृषि के साथ मत्स्यपालन और दुग्ध उत्पादन के लिए भी ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
अनु उरांव कांके के पिठोरिया स्थित कुम्हरिया गांव की निवासी हैं. अनु ने बताया कि प्रखंड कार्यालय से केसीसी के बारे में जानकारी मिली. केसीसी के लिए आवेदन दिया. केसीसी के जरिये मिले ऋण का उपयोग उन्होंने ड्रीप एरिगेशन व खेती से जुड़े अन्य कार्यों के लिए किया. ढाई एकड़ में खीरा, टमाटर, पत्तागोभी की फसल लगायी. अनु बताती हैं कि पॉली हाउस में सब्जी की खेती करने का भी फायदा मिला. वे अब अगले सीजन के लिए तरबूज की खेती के लिए तैयारी कर रही हैं. सब्जियों की खेती में प्रति एकड़ 80 से 90 हजार रुपये तक की लागत आती है. सब्जियों की साल भर में तीन फसल ले पाते हैं. सारा खर्च निकालने के बाद तकरीबन डेढ़ लाख रुपये तक की बचत हो जाती है.
प्रकाश भगत गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित चुन्दरी नवांटोली गांव के निवासी हैं. उनके पास सात एकड़ कृषि भूमि है. जिसमें से आधे हिस्से पर वे धान की खेती करते हैं और आधे में गेहूं की. केसीसी से उन्होंने 46,000 रुपये का ऋण लिया था. सारा खर्च निकालने के बाद 40,000 का लाभ हुआ. खूंटी के मान्हो सिलादोन गांव के निवासी नरेश महतो को एक महीने पहले ही केसीसी के बारे में जानकारी मिली. नरेश को 50,000 रुपये का ऋण मिला. नरेश के पास कृषि के लिए लगभग पांच एकड़ भूमि है. 40 डिसमिल भूमि पर आलू की खेती की है. एक एकड़ भूमि पर गेहूं लगाने की तैयारी कर रहे हैं.
कृषि निदेशक निशा उरांव ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश पर युद्धस्तर पर किसानों को केसीसी मुहैया कराया जा रहा है. कृषक मित्र, एटीएम, बीटीएम एवं वीएलडब्लू टोला-टोला घूम कर किसानों से केसीसी फॉर्म भरवा रहे हैं. इस कारण इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से केसीसी आवेदन भरवाये गये हैं. त्रुटि के कारण बैंक कुछ आवेदनों को अस्वीकार करते हैं, तो कृषि विभाग के कर्मचारी इन्हें शुद्ध कर फिर उसे बैंक में जमा कराते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra