23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

National Green Tribunal : राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आदेश, नौ से ज्यादा पशु पालने के लिए लेनी होगी मंजूरी

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 10 या इससे अधिक पशुधन रखकर उद्योग करनेवालों को कंसेंट टू एस्टेब्लिशमेंट (सीटीइ) और कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) लेने का आदेश दिया है. इस दायरे में गोशाला भी आयेंगे.

मनोज सिंह, रांची : राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 10 या इससे अधिक पशुधन रखकर उद्योग करनेवालों को कंसेंट टू एस्टेब्लिशमेंट (सीटीइ) और कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) लेने का आदेश दिया है. इस दायरे में गोशाला भी आयेंगे. बोर्ड ने सार्वजनिक नोटिस के जरिये इस दायरे में आनेवाले सभी पशुपालकों को सीटीइ और सीटीओ लेने का निर्देश जारी किया है. गौरतलब है कि मई में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सभी राज्यों को इसका पालन करने का निर्देश दिया था.

इसी आलोक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सभी राज्यों को पत्र लिख कर एनजीटी के इस आदेश का पालन करने को कहा है. सीपीसीबी ने दुग्ध उत्पादक उद्योग/ फर्म और गोशाला इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण नियमावली के तहत नारंगी और हरे श्रेणी में बांटा है. इसके तहत वैसे सभी उद्योग जहां 10 या इससे अधिक पशुओं का उपयोग हो रहा है, सीटीइ और सीटीओ लेने का आदेश जारी किया है.

38.39 लाख वयस्क गाय और भैंस हैं झारखंड में : 2019 की पशुगणना के अनुसार झारखंड में करीब 38.39 लाख वयस्क गाय और भैंस हैं. इनमें 34.58 लाख के करीब गाय और करीब 4.35 लाख भैंस हैं. सीपीसीबी ने गाय और भैसों के प्रबंधन के लिए बनाये गये नियमों में डेयरी और गोशाला काे पांच कैटेगरी में बांटा है. पहली कैटेगरी में 25 जानवर, दूसरी में 26 से 25, तीसरी में 51 से 75, चौथी में 76 से 100 तथा पांचवीं में 100 से अधिक जानवरों को रखा है. सभी के लिए अलग-अलग प्रबंधन ने नियम तैयार किया है.

सीपीसीबी द्वारा की गयी श्रेणीगत व्यवस्था को राज्य प्रदूषण नियंत्रण ने स्वीकार किया है. इसी आधार पर गोशाला और डेयरी फार्म को सीटीइ और सीटीओ लेने का निर्देश दिया गया है. सभी पशुपालकों और गोशाला संचालकों से आग्रह किया गया है कि इस नियम का पालन करें.

राजीव लोचन बख्शी, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

ग्रीन कैटेगरी : इस श्रेणी में 100 किलोलीटर से अधिक पानी खर्च करनेवाली गोशालाएं आयेंगी. यहां बीमारी, कमजोर, चोटिल, विकलांग, बेघर जानवर रखे जाते हैं. यहां जानवरों के रहनेवाले फ्लोर से आर्गेनिक मैटर निकलता है. जानवरों के गोबर से एक प्रकार की गंध निकलती है, जिससे प्रदूषण भी प्रभावित होता है. इसके लिए सीपीसीबी ने डेयरी फॉर्म व गोशाला से संबंधित पर्यावरण प्रबंधन प्लान बनाया है.

ऑरेंज कैटेगरी : इसमें घरों में डेयरी फार्म चलानेवाले दुग्ध उत्पादक रखे गये हैं, जो दूध बांटते या प्रोसेसिंग प्लांट को देते हैं. यहां से भी गंदा पानी, गंध व कई तरह का कचरा निकलता है. ऐसे पशुपालकों या डेयरी फार्म को सीटीइ व सीटीओ लेना होगा, जहां 14 से अधिक जानवर हैं. इससे कम जानवरों वाले डेयरी फार्म अगर कॉलोनी या कलस्टर में हैं, तो उसको भी सीटीओ और सीटीइ लेना होगा.

Posted by: Pritish sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें