Jharkhand News (मनोज लाल, रांची) : झारखंड की राजधानी रांची समेत गुमला और सिमडेगा जिला में करीब 46 साल से जमीन का सर्वे चल रहा है. रांची में वर्ष 1975 से सर्वे शुरू कराया गया था, लेकिन रिपोर्ट अब तक फाइनल नहीं हुई है. वहीं, इसके सर्वे के औचित्य पर भी सवाल उठने लगा है.
सर्वे पर भूमि रिकॉर्ड प्रकाशित नहीं करने की बात हो रही है. इसे लेकर एक अक्टूबर को राजस्व पदाधिकारियों ने मैराथन चर्चा की. इस दौरान राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव एल ख्यांग्ते भी मौजूद थे.
इस पर राजस्व पदाधिकारियों ने कहा कि 46 साल पहले किये गये सर्वे की तुलना आज की स्थिति से करायी जाये, तो काफी अंतर पाये जायेंगे. ऐसे में इस सर्वे का कोई मतलब नहीं रह गया. इसलिए अब नये सिरे से सर्वे कराने की जरूरत है. अधिकारियों ने नये सर्वे पर ही बल दिया है.
अधिकारियों ने अपनी बातें रखी है कि वर्ष 1975 के बाद भौतिक रूप से जमीन की स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ है. जहां खेत-खलिहान, मैदान व तालाब थे, वहां मुहल्ले बस गये हैं. सड़कें बन गयी हैं. 46 साल के दौरान जमीन के स्वामित्व में भी बड़ा बदलाव हुआ है.
पुश्तैनी जमीन के साथ ही यही हुआ है. पहले दादा के नाम से जमीन थी. आज बेटा और पोता के नाम पर सारे दस्तावेज हैं. ऐसे में नये सिरे से सर्वे की बात अधिकारियों ने बतायी है. इस पर मंथन किया जा रहा है कि अगर वर्षों पुराने सर्वे के आधार पर भूमि रिकॉर्ड का प्रकाशन हुआ, तो बड़ी गड़बड़ियां सामने आयेगी, जिससे विवाद जन्म लेगा.
Posted By : Samir Ranjan.