रांची : राज्य के अपने राजस्व स्रोतों में उत्पाद से मिलनेवाले राजस्व की स्थिति सबसे खराब है. उत्पाद विभाग का वार्षिक लक्ष्य 2460 करोड़ रुपये है. इसके मुकाबले अक्तूबर तक 848.72 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. यह वार्षिक लक्ष्य का 34.50 प्रतिशत है. राज्य के अन्य सभी राजस्व स्रोतों की वसूली 45 से 55 प्रतिशत के बीच है. उत्पाद राजस्व की खराब स्थिति देखते हुए अब फिर से उत्पाद नीति में बदलाव पर विचार हो रहा है.
राज्य सरकार का झुकाव छत्तीसगढ़ मॉडल की ओर है. उत्पाद आयुक्त अमित कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री के मॉडल का अध्ययन करके आयी है. टीम ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. अब राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 में छत्तीसगढ़ मॉडल पर उत्पाद नीति लागू करने पर विचार कर रही है.
इसी साल मिली निजी कंपनियों को शराब के व्यापार की छूट : झारखंड में इसी वर्ष से शराब की बिक्री में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) का एकाधिकार खत्म कर दिया गया. निजी कंपनियों और व्यवसायियों को शराब की थोक ब्रिक्री के लिए लाइसेंस दिया गया.
इसके पूर्व राज्य सरकार देशी और विदेशी शराब का व्यापार वर्ष 2010 में गठित जेएसबीसीएल के माध्यम से करती थी. शराब की खुदरा दुकानों का संचालन भी जेएसबीसीएल के जरिये ही होता था. लेकिन, राजस्व में कमी की बात करते हुए उत्पाद विभाग ने नियमावली में बदलाव करते हुए निजी कंपनियों और व्यापारियों के लिए दरवाजा खोला था. पर, अब नयी नीति में भी बदलाव पर विचार हो रहा है.
छत्तीसगढ़ में शराब का व्यापार राज्य सरकार द्वारा संचालित किया जाता है. वहां शराब के थोक और खुदरा व्यापार पर सरकार का नियंत्रण है. निजी कंपनियों व व्यापारियों को व्यवस्था में शामिल नहीं किया गया है. झारखंड में यह व्यवस्था पूर्व में की गयी थी. जेएसबीसीएल का गठन इसी उद्देश्य से किया गया था.
शुरू में शराब के थोक और खुदरा व्यापार जेएसबीसीएल के माध्यम से शुरू किया गया. लेकिन, व्यवस्था नहीं होने से पहले शराब के खुदरा व्यापार में निजी कंपनियों और व्यापारियों को शामिल किया गया. फिर राजस्व में कमी की बात करते हुए शराब का थोक व्यापार भी जेएसबीसीएल से छीन लिया गया.
Posted By : Sameer Oraon