रांची : किसानों का कर्ज माफ करने की तैयारी की घोषणा कर चुके झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो दिन बाद यानी 15 अगस्त को शहरी श्रमिक रोजगार योजना की शुरुआत का एलान कर सकते हैं. राजधानी रांची स्थित मोरहाबादी के ऐतिहासिक मैदान से हेमंत सोरेने अपनी महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा कर सकते हैं.
इसके तहत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से घोषित लॉकडाउन में अपनी नौकरी गंवाने वाले कामगारों को उनके ही शहर में कम से कम 100 दिन का रोजगार देने की घोषणा कर सकते हैं. प्रस्तावित योजना अकुशल शहरी श्रमिकों के लिए होगी. भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार से कहा है कि वह सिर्फ घोषणाएं न करें, काम करें.
लॉकडाउन और कोरोना संकट की वजह से प्रवासी मजदूरों और राज्य के श्रमिकों के सामने आजीविका का संकट गहरा गया है, जिससे उन्हें बाहर निकालने के लिए मुख्यमंत्री इस महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दे सकते हैं. कोरोना संकट से उत्पन्न आर्थिक, सामाजिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री मनरेगा की तर्ज पर ‘श्रमिक रोजगार योजना’ शुरू कर सकते हैं.
सूत्रों की मानें, तो यह एक तरह से रोजगार गारंटी योजना की तरह होगी. शहरों में रहने वाले 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के अकुशल श्रमिकों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जायेगी. अगर किसी कामगार को आवेदन करने के 15 दिन के अंदर काम नहीं मिलता है, तो वह बेरोजगारी भत्ता का हकदार होगा.
इधर, भाजपा ने हेमंत सोरेन को घोषणाएं करने के लिए आड़े हाथ लिया है. झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा है कि इस सरकार को पहले काम करके दिखाना चाहिए. बाद में घोषणाएं करनी चाहिए.
प्रमुख विपक्षी दल के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ किसान सम्मान योजना के तहत केंद्र सरकार से जो सहायता मिलती थी, उसी तरह राज्य में चल रही स्कीम को मौजूदा सरकार ने समाप्त कर दिया. और अब किसानों की ऋण माफी के नाम पर लॉलीपॉप दिखा रही है.
श्री प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार को इस तरह की कोई भी घोषणा करने से पहले काम करके दिखाना चाहिए. उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले और चुनाव के बाद भी कई तरह की घोषणाएं की गयीं. अब तक एक भी वादा पूरा नहीं हो पाया.
श्री प्रकाश ने कहा कि सवाल बेरोजगारों को दिये जाने वाले बेरोजगारी भत्ते का हो या आदिवासी और किसानों से जुड़े मसले, सभी मामलों में राज्य सरकार विफल साबित हुई है. ऐसे में अब अगर किसी तरह की घोषणा होती है, तो उससे पहले राज्य सरकार को काम करना चाहिए.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों ही कहा था कि राज्य के किसानों की कर्जमाफी पर जल्द निर्णय लिया जायेगा. कृषि विभाग इस बाबत नियमावली तैयार कर रहा है. विभागीय सूत्रों की मानें, तो लगभग दो हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किसानों के ऋण माफी के लिए किया गया है.
ज्ञात हो कि बड़ी संख्या में किसानों ने बैंक से कर्ज ले रखे हैं. बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण ये किसान अब डिफॉल्टर होते जा रहे हैं. ऐसे में किसानों की ऋणमाफी को लेकर सरकार जल्द कदम उठाने के मूड में है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा चुनाव से पहले किसानों से वादा किया था कि वह उनका कर्ज माफ करेगा.
Posted By : Mithilesh Jha