Jharkhand State Livelihood Promotion Society News, रांची न्यूज : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल के बाद झारखंड के वनोपज कुसुम और करंज के तेल अब सौंदर्य प्रसाधन, कीटनाशक और औषधि के तौर पर उपयोग में लाये जा रहे हैं. वहीं ये वनोपज पर निर्भर लोगों के आर्थिक विकास के वाहक भी बन रहे हैं. लगभग 12 हजार 500 महिला-पुरुष किसानों को करंज और कुसुम के फल संग्रह कार्य से जोड़ा गया है. इससे लगभग 1500 से 4000 रुपये प्रतिमाह की आमदनी इस कार्य से जुड़े प्रति किसान को हो रही है. इसके साथ ही रूरल सर्विस सेंटर से बतौर सदस्य जुड़ कर 300 किसान दो से साढ़े चार हजार तक की आमदनी कर रहे हैं.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने वनोपज पर निर्भर लोगों को वनोपज का सही मूल्य दिलाने का निर्देश दिया था. इसके बाद जेएसएलपीएस ने योजनाबद्ध ढंग से कार्य प्रारंभ किया. उसने राज्य के सिमडेगा, गुमला, खूंटी, हजारीबाग और लातेहार में अपनी औषधीय संयंत्र परियोजना के तहत लगभग 12,500 किसानों को अवसर प्रदान किया. किसानों को व्यवसाय करने के लिए उत्पादक समूह से जोड़ा. उन्हें करंज और कुसुम जैसे वनोपज को वैज्ञानिक तरीके से संग्रह के लिए प्रशिक्षित किया गया. उद्देश्य था किसानों को सही मूल्य मिल सके और संग्रह किए गए उत्पाद बर्बाद न हों.
किसानों द्वारा वनोपज उत्पादक समूह के माध्यम से एकत्र किया जाता है और फिर ग्रामीण सेवा केंद्र को बेचा जाता है. ग्रामीण सेवा केंद्र में ऑयल एक्सपेलर यूनिट भी लगाई गई है. यहां कुल 11.2 मीट्रिक टन करंज तेल का उत्पादन किया गया है. इसमें से 1800 किलोग्राम करंज तेल बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है. वर्तमान में पलाश मार्ट के माध्यम से बाजार में 1 लीटर के बोतलों में तेल को पैक कर 155 रुपये में बेचा जा रहा है. हजारीबाग के कटकमसांडी स्थित ग्रामीण सेवा केंद्र और दारू प्रखंड स्थित वनोपज किसान निर्माता कंपनी की मदद से कुसुम और करंज तेल को पलाश मार्ट के माध्यम से खुले बाजार में भी लॉन्च किया है. पशुओं की त्वचा से संबंधित देखभाल के लिए किसानों को बिक्री के लिए 10,000 बोतलें पैक की गई हैं.
कुसुम और करंज झारखंड के वन क्षेत्रों में सबसे अधिक पाए जाने वाले वनोत्पादों में से हैं. ये मुख्य रूप से सिमडेगा, खूंटी, लातेहार, गुमला और हजारीबाग में पाया जाता है. इसके तेल कई तरह से उपयोग में लाये जाते हैं. जैसे कुसुम तेल मुख्य रूप से बालों की देखभाल में, खाना पकाने और प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के लिए उपयोग किया जाता है. करंज का उपयोग कीट विकर्षक के रूप में किया जाता है. इसमें कीटनाशक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और एक्जिमा, त्वचा की जलन, रूसी आदि को ठीक करता है. करंज तेल की मांग दिवाली में दीये जलाने के लिए प्रचुर मात्रा में होती है. कुसुम और करंज के औषधीय क्षेत्र में भी कई उपयोग हैं. इसका उपयोग साबुन निर्माण में भी किया जाता है. यह राज्य सरकार के दूरदर्शी सोच का प्रतिफल है कि झारखंड के वनोपज के संगठित संग्रहण, उसे उपयोगी उत्पाद में बदलने और बाजार मुहैया कराने में सफलता मिल रही है. साथ ही इस पर निर्भर लोगों को आज की मांग के अनुरूप प्रशिक्षित कर उनके आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है.
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जेएसएलपीएस की सीईओ नैंसी सहाय ने बताया कि वनोपज पर निर्भर लोगों के आर्थिक उन्नयन का प्रयास किया जा रहा है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर वनोपज कार्य में लगे लोगों को उनके द्वारा संग्रह किये जा रहे करंज, कुसुम, इमली व अन्य का सही मूल्य देकर पलाश मार्ट के जरिये बिक्री की जा रही है. इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है.
Posted By : Guru Swarup Mishra