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झारखंड की गजल गायिका मृणालिनी अखौरी को मिलेगा नेल्सन मंडेला नोबेल पीस अवार्ड

संगीत और सामाजिक कार्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए झारखंड की गजल गायिका मृणालिनी अखौरी को नेल्सन मंडेला नोबेल पीस अवार्ड के लिए नामित किया गया है. वहीं, 11 जून को संत मदर टेरेसा यूनिवर्सिटी की ओर से जम्मू में उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी दी जाएगी.

Jharkhand News: झारखंड की गजल गायिका मृणालिनी अखौरी (Mrinalini Akhauri) को वर्ष 2022 का नेल्सन मंडेला नोबेल पीस अवार्ड के लिए नामित किया गया है. उन्हें यह सम्मान नेल्सन मंडेला नोबेल पीस अवार्ड एकेडमी (Nelson Mandela Nobel Peace Award Academy- NMNAA) की ओर से संगीत और सामाजिक कार्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है. यह पुरस्कार पाने वाली मृणालिनी अखौरी झारखंड की पहली महिला होंगी. वहीं, आगामी 11 जून को उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी नवाजा जाएगा.

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11 जून को मिलेगी डॉक्टरेट की मानद उपाधि

गजल गायिका मृणालिनी अखौरी को संत मदर टेरेसा यूनिवर्सिटी की ओर से आगामी 11 जून को डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी जाएगी. जम्मू-कश्मीर के हरि निवास पैलेस में उन्हें यह सम्मान दिया जाएगा. यह जानकारी नेल्सन मंडेला नोबल शांति पुरस्कार एकेडमी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ राजकुमार टक ने दी.

संगीत प्रेमियों ने किया हमेशा प्रोत्साहित

प्रभात खबर डॉट कॉम से बात करते हुए मृणालिनी ने इस सम्मान के लिए सभी का धन्यवाद दिया. कहा कि निरंतर संगीत और समाजसेवा में लगे होने के कारण मुझे सम्मान मिला है. कहती हैं कि यह सम्मान उन संगीत प्रेमियों के लिए है, जिन्होंने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया. परिजनों के साथ ही सरकार का भी हमेशा सहयोग मिला. कहती हैं कि प्रथम झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर बॉलीवुड गायिका अनुराधा पौडवाल के साथ स्टेज पर गाने का मौका भी मिला है.

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तरन्नुम संगीत संस्थान के माध्यम से संगीत के क्षेत्र में नयी पौध को कर रही तैयार

मृणालिनी कहती हैं कि राजधानी रांची में तरन्नुम संगीत संस्थान के माध्यम से भावी पीढ़ी को संगीत के क्षेत्र में तैयार कर रही है. यह संस्थान प्रयाग संगीत समिति से और झारखंड सरकार से रजिस्टर्ड है. वहीं, रांची वुमेंस कॉलेज में बतौर संगीत शिक्षक कार्यरत है. साथ ही आकाशवाणी में काफी लंबे समय से गजल गायिका के तौर पर जुड़ी है.

कौन हैं मृणालिनी अखौरी

बिहार के औरंगाबाद जिले में जन्मीं मृणालिनी अखौरी को बचपन से ही गीत-संगीत के क्षेत्र में रुचि थी. पिता अखौरी प्रमोद कृष्ण और माता मंजू बाला की छोटी पुत्री मृणालिनी चार साल की उम्र से ही गाना गुनगुनाती थी. इसे सुन पिता काफी प्रभावित हुए. मृणालिनी ने शास्त्रीय संगीत की प्रारंभिक शिक्षा मांझिल पाठक और दिनेश पांडेय से लेनी शुरू की. वहीं, सुनील पाठक से गजल गायिकी की शिक्षा प्राप्त की. मृणालिनी शास्त्रीय संगीत में एमए की है.

स्वर कोकिला लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी को मानती है अपना आदर्श

मृणालिनी अपने परिवार के साथ वर्ष 1999 में रांची आयी. इसके बाद से उसने व्यवसायिक तौर पर कार्यक्रम करती रही. इससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली. पार्श्वगायन के क्षेत्र में मृणालिनी स्वर कोकिला लता मंगेश्कर और प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी को अपना आदर्श मानती है. साथ ही जगजीत सिंह, गुलाम अली, हरिहरन और चंदन दास जैसे गजल गायक से काफी प्रभावित है.

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मृणालिनी को मिल चुका है कई सम्मान

गजल गायिका मृणालिनी को प्रभात खबर की ओर से कजरी सम्मान से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा गुरु सम्मान, अपराजिता सम्मान, काटयानी सम्मान, सोनपुर सम्मान, थावे सम्मान, लाहिया नाट्य अकाडमी सम्मान, कला संस्कृति सम्मान, प्रयाग संगीत समिति सम्मान, रजरप्पा सम्मान, झारखंड सिने अवार्ड समेत कई अन्य सम्मान से सम्मानित किया गया है.

Posted By: Samir Ranjan.

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