रांची: झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बुधवार को प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने ईडी और सीबीआई के बहाने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ईडी पर तंज कसते हुए उसका फूल फॉर्म इंड ऑफ डेमोक्रेसी बताया. इस दौरान उन्होंने बाबूलाल मरांडी पर भी निशाना साधा.
झामुमो ने केंद्र सरकार पर लगाये आरोप
झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि उच्च न्यायालय ने पहली बार किसी जांच एजेंसी की वैधता पर सवाल उठाया है. झामुमो पिछले कई दिनों से यह सवाल उठा रही है कि गैर भाजपा शाषित राज्यों में ED, CBI और IT की कार्रवाई कुछ ज्यादा हो रही है. सुप्रियो ने कहा कि ED का मतलब इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट नहीं बल्कि एंड ऑफ डेमोक्रेसी है. एजेंसी ने सिर्फ विपक्षी दल के नेताओं और सरकार की रीढ़ तोड़ने का काम किया है. झारखंड में जैसे ही सरकार ने काम शुरू कर किया, वैसे ही इन एजेंसी को यहां पर अलर्ट कर दिया गया. इस दौरान उन्होंने राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाये.
बाबूलाल मरांडी पर साधा निशाना
झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इलेक्ट्रोल बॉन्ड के नाम पर देश में सबसे बड़ा मनी लॉन्ड्रिंग हुआ. ED कहां सोई हुई है. महाराष्ट्र में जिन विधायक के ठिकानों पर छापेमारी हुई. इस छापेमारी के बाद वही विधायकों ने भाजपा की सहयोगी पार्टी बनकर मंत्री पद की शपथ ले ली. देश में जिस तरह से सरकारों पर हमला हो रहा है, अगर सुप्रीम कोर्ट ना रहे तो देश के लिए यह एजेंसी घातक है. भाजपा के नेता द्वारा मध्य प्रदेश में आदिवासी युवक पर पेशाब कर दिया गया. इससे आक्रोशित लोगों ने जब भाजपा कार्यालय का घेराव किया तब बाबूलाल मरांडी ने उन्हें जमीन दलाल बता दिया, जबकि बाबूलाल खुद एक आदिवासी नेता हैं. पिछले दिनों तक वह एक अलग पार्टी के सुप्रीमो थे. भाजपा पर सवाल खड़ा रहे थे, लेकिन जब भाजपा में गए तो सभी चीजों को भूल गए. बाबूलाल से पूछना चाहता हूं कि जो उनके समर्थन में रांची में पोस्टर लगाया गया है, वह किसने लगाया है. यह भी जनता जान रही है.
केंद्र के खिलाफ गठबंधन के नेता राजभवन के समक्ष जताएंगे विरोध
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल के भाजपा में जाने से पहले ED के दफ्तर से इन्हें कॉल आया होगा कि भाजपा में शामिल हो जाओ नहीं तो हम पहुंच रहे हैं. अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बन गए तो जल्द ही विपक्ष का नेता भी किसी को बना दें. ताकि सदन की कार्रवाई सही से चल सके. राहुल गांधी के मसले पर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा. वह कुछ अलग हो सकता है. गुजरात में सिविल कोर्ट जो भाषा बोलती है, उससे आगे बढ़ कर हाईकोर्ट सुनवाई करती है. जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जायेगा तो कुछ और हो सकता है. अब 17 और 18 जुलाई को संयुक्त रूप से सभी गठबंधन दल के नेता राजभवन के पास केंद्र के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे.