पिठोरिया (रांची): नागपुरी संस्थान शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र (पिठोरिया) के सभागार में रविवार को सुजीत कुमार केशरी की लिखी पांच पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. ये पुस्तकें हैं-कहानी पिठोरिया की, ऐतिहासिक गांव सुतियांबेगढ़, अब इन टूटे तारों से कौन करेगा प्यार, सब कुछ लुटा, तो लुटाना सीखा (चारों झारखंड झरोखा रांची से प्रकाशित) और भारतीय संस्कृति में अंक का महत्व (नागपुरी संस्थान पिठोरिया से प्रकाशित). कार्यक्रम की शुरुआत डॉ बीपी केशरी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि महादेव टोप्पो ने कहा कि सुजीत की पुस्तकें पठनीय एवं प्रेरणादायी हैं. विशिष्ट अतिथि प्रभात खबर के कॉरपोरेट एडिटर विनय भूषण ने कहा कि कस्बे के ऊपर इतिहास लिखना सुजीत की बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो आने वाले समय में संदर्भ ग्रंथ के रूप में लिया जाएगा. इनकी पुस्तकें मील का पत्थर साबित होंगी.
डॉ बीपी केशरी का सपना हो रहा साकार
डॉ शकुंतला मिश्र ने कहा कि नागपुरी संस्थान की स्थापना के पीछे डॉ बीपी केशरी की इच्छा थी कि पिठोरिया शिक्षा, साहित्य व शोध का केंद्र बने. आज यह सपना साकार हो रहा है. विशिष्ट अतिथि डॉ राम दयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के पूर्व सहायक निदेशक ने कहा कि सुतियांबेगढ़ मुंडाओं का ऐतिहासिक गढ़ रहा है. वास्तविकता यह है कि तथ्य और साक्ष्य के अभाव में इतिहास के पन्नों में यह गढ़ धूमिल पड़ा हुआ है. इस धुंधलापन को मिटाने का प्रयास सुजीत कुमार केशरी ने अपनी पुस्तक ऐतिहासिक गांव सुतियांबेगढ़ के माध्यम से किया है, जो सराहनीय है. इस पुस्तक से न केवल मुंडाओं की ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी हासिल होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ी के शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगी.
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गांव में दिलचस्पी रखने वालों के लिए पुस्तकें हैं अनुपम उपहार
अध्यक्षीय भाषण करते हुए डॉ कृष्ण प्रसाद साहू कलाधर ने कहा कि डॉ बीपी केसरी द्वारा स्थापित नागपुरी संस्थान में लोकार्पण के इस कार्यक्रम को देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है. उम्मीद है सुजीत केसरी जैसे अनेक युवा लेखक साहित्य लेखन की परंपरा को उत्साह के साथ सदैव आगे बढ़ाते रहेंगे. एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी के नौजवानों का लेखन कार्य में लग जाना सुखद अनुभूति दे रहा है. सब कुछ लुटा तो लुटाना सीखा और अब इन टूटे तारों से कौन करेगा प्यार पुस्तक की समीक्षा करते हुए रांची विश्वविद्यालय के नागपुरी स्नातकोत्तर विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश तिवारी ने कहा कि दोनों कृतियां प्रेरणादायी हैं. ये समाज को सुखी और संपन्न देखना चाहते हैं. इसलिए इनके आलेख सकारात्मक जान पड़ते हैं. अपनी पत्रकारिता के दरम्यान लिखे आलेखों को पुस्तक का रूप देना बहुत कठिन कार्य है लेकिन सुजीत केशरी ने ऐसा कर दिखाया है. कहानी पिठोरिया की पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ हरीश कुमार चौरसिया ने कहा कि यह पुस्तक गांव में दिलचस्पी रखने वालों के लिए अनुपम भेंट होंगी. इस पुस्तक में जयमंगल सिंह और उसके बेटे जगतपाल सिंह के उत्थान-पतन की कहानी है जो झारखंड के इतिहास की महत्वपूर्ण कड़ी है.
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काफी कम लिखा गया है ऐतिहासिक गांव सुतियांबेगढ़ के बारे में
भारतीय संस्कृति में अंक का महत्व की समीक्षा करते हुए राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि यदि भारत की प्राचीन सभ्यता-संस्कृति को जानना हो तो यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए. ऐतिहासिक गांव सुतियांबेगढ़ की समीक्षा करते हुए डॉ शकुंतला मिश्रा ने कहा कि झारखंड के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल के बारे में बहुत कम लिखा गया. आईएएस सुरेश कुमार सिंह व डॉ बीपी केसरी जैसे लोगों ने कुछ प्रयास किया था. यह सर्वविदित है कि प्राचीन काल में यहां असुरों को पराजित कर मुंडाओं का शासन चला और महाराजा मदरा मुंडा पड़हा व्यवस्था की स्थापना व सुशासन के कारण बहुत लोकप्रिय रहे. बाद में यह शासन व्यवस्था नागवंशी महाराजाओं के हाथों में आयी और इन सब घटनाओं का केंद्र बिंदु सुतियांबेगढ़ रहा. कार्यक्रम में विश्वनाथ प्रसाद, डॉ राम प्रसाद, डॉ खालिद अहमद, डॉ सुखदेव साहू, डॉ संजय सारंगी, डॉ राम कुमार, डॉ आलम आरा, डॉ संतोष भगत, राजेश कुमार व सुरेन्द्र कुमार, भादी प्रकाश उरांव, अभिनव केशरी के अलावा विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित थे.