JPSC Civil Services Exam News रांची : झारखंड राज्य के गठन के बाद झारखंड लोक सेवा अायोग (जेपीएससी) का भी गठन किया गया. विवादों के कारण मामला हाइकोर्ट में पहुंचने के कारण 21 साल में अब तक छह सिविल सेवा परीक्षा ही हो सकी. इसका खामियाजा विद्यार्थी भुगते. कभी पैरवीपुत्रों की नियुक्ति तो कभी नियमविरुद्ध नियुक्ति के कारण जेपीएससी सुर्खियों में रहा. राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 में झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा 64 पदों के लिए प्रथम सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया गया.
उस वक्त डॉ दिलीप कुमार प्रसाद अध्यक्ष थे. इसके बाद 172 पदों के लिए द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा ली गयी. इसमें काफी विवाद हुआ. अायोग के पदाधिकारियों, राजनेताओं व शिक्षा माफिया के रिश्तेदारों की नियुक्ति के आरोप लगे. जमकर पैसे के लेन-देन, नंबर बढ़ाने के आरोप लगे. मामले ने तूल पकड़ा, तो फाॅरेंसिंक जांच भी करायी गयी.
विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा था. अंतत: वर्ष 2009 में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने पूरे मामले की जांच निगरानी को सौंप दी. इस प्रकरण में अध्यक्ष, दो सदस्य, सचिव जेल भी गये. बाद में मामला हाइकोर्ट पहुंचा. हाइकोर्ट ने नियुक्ति को रद्द कर दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. इस बीच नियुक्ति घोटाले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के अादेश पर स्टे लगा दिया अौर मामला की सुनवाई होने तक सभी नियुक्त लोगों को कार्य करने की अनुमति प्रदान कर दी.
इसके बाद आयोग में तीसरी सिविल सेवा परीक्षा 242 पदों के लिए आयोजित की गयी. इसमें कुछ अभ्यर्थियों ने रिजल्ट में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर हाइकोर्ट में मामला दायर किया. हालांकि कोर्ट ने उस पर संज्ञान नहीं लिया अौर रिजल्ट जारी हो गया. आयोग द्वारा चतुर्थ सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन 219 पदों के लिए किया गया. इसमें भी विवाद उठा. इस बार विवाद पीटी में अंक की गणना व उत्तीर्ण होने के आधार स्केलिंग को लेकर था . मामला हाइकोर्ट पहुंच गया. हालांकि न्यायालय ने रिजल्ट निकालने की अनुमति प्रदान कर दी. जबकि मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है.
इसके बाद पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा 277 पदों के लिए लिया गया. इसमें भी पीटी में आरक्षण देने की मांग को लेकर विवाद उठा. यह मामला भी हाइकोर्ट पहुंचा. बाद में हाइकोर्ट ने रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया. पुन: छठी सिविल सेवा परीक्षा 326 पदों के लिए लिया गया. लेकिन इसमें भी पहले आरक्षण, फिर क्वालिफाइंग मार्क्स को लेकर विवाद उठा. मामला हाइकोर्ट पहुंचा.
11 माह बाद हाइकोर्ट ने सात जून 2021 को मेरिट लिस्ट को निरस्त कर दिया. इस बीच आयोग ने सातवीं, आठवीं, नौवीं व 10वीं सिविल सेवा परीक्षा एक साथ लेने के लिए विज्ञापन जारी किया. इस परीक्षा में उम्रसीमा को लेकर विवाद उठा. हालांकि बाद में सरकार ने उम्र सीमा में संशोधन कर परीक्षा लेने की अनुमति प्रदान कर दी. आयोग ने दो मई 2021 को पीटी लेने का निर्णय भी लिया, लेकिन कोरोना के कारण परीक्षा स्थगित करनी पड़ी. आयोग स्थिति सुधरने के बाद नयी तिथि की घोषणा करने के इंतजार में है.
परीक्षा पद वर्ष फाइनल उम्र का कट ऑफ डेट
प्रथम सिविल सेवा 64 2003 2006 01.08.2002
द्वितीय सिविल सेवा 172 2006 2008 01.08.2004
तृतीय सिविल सेवा 242 2007 2009 01.08.2005
चतुर्थ सिविल सेवा 219 2010 2012 01.08.2006
पांचवीं सिविल सेवा 277 2013 2015 01.08.2009
छठी सिविल सेवा 326 2016 2020 01.08.2010
झारखंड लोक सेवा आयोग की 16 परीक्षा सीबीआइ के जांच के दायरे में है. इनमें प्रथम, द्वितीय सिविल सेवा, मार्केटिंग सुपरवाइजर, चिकित्सक, इंजीनियर नियुक्ति, फार्मासिस्ट, व्याख्याता नियुक्ति, झारखंड पात्रता परीक्षा, प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति, सहकारिता पदाधिकारी, विवि में डिप्टी रजिस्ट्रार की परीक्षा व अन्य शामिल हैं.