झारखंड में तीन जुलाई को हुई कनीय अभियंता नियुक्ति परीक्षा लेनेवाली कंपनी बिनसीस के मालिक अरुण कुमार ने ही प्रश्नपत्र लीक किया. इसके एवज में 75 अभ्यर्थियों से 20-20 लाख रुपये लिये गये. यह खुलासा पटना से गिरफ्तार गिरोह के सदस्य अभिषेक ने रविवार को रांची पुलिस के समक्ष किया. उसने कहा कि 20 लाख रुपये में से 15 लाख रुपये अरुण को मिले.
शेष बचे पांच लाख रुपये उसे (अभिषेक), अमित और अन्य को मिले. उसने बताया कि दो जुलाई को टोकन मनी देने पर अभ्यर्थियों को लैपटॉप पर उत्तर दे दिया गया था और उसके बाद उन्हें परीक्षा सेंटर पर पहुंचा दिया गया. उसमें चार छात्र ऐसे थे, जिन्होंने टोकन मनी और मार्क्स शीट जमा नहीं की थी, तो उन्हें आंसर सीट नहीं दी गयी थी.
उन्होंने ही जेएसएससी अध्यक्ष को प्रश्न पत्र लीक होने की जानकारी दी थी. बाद में जेएसएससी के अध्यक्ष ने इसकी जानकारी एसएसपी को दी. कुछ दिन बाद एक छात्र ने प्रश्न पत्र लीक को लेकर नामकुम थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी़ रांची पुलिस का कहना है कि बिनसीस टेक्नोलॉजी प्रा़ लि. ने जितनी परीक्षाएं ली हैं, उन सबकी जांच होनी चाहिए. इस मामले की जांच मुख्यालय डीएसपी वन नीरज कुमार कर रहे है़.
अभिषेक ने पुलिस को बताया है कि जेएसएससी की ओर से कनीय अभियंता परीक्षा लेने के लिए जो निविदा निकाली गयी थी, उसमें अरुण की कंपनी ने सबसे कम रेट दिया था. इस कारण कंपनी को परीक्षा देने की निविदा दे दी गयी थी.
बिनसीस कंपनी के मालिक अरुण ने 75 अभ्यर्थियों से लिये 20-20 लाख रुपये
गिरोह के गिरफ्तार सदस्य गिरफ्तार अभिषेक ने किया मामले का खुलासा
बिहार में भी एसएससी प्रश्न पत्र लीक कर 14 करोड़ ठग चुका है अभिषेक
प्रश्न पत्र लीक मामले में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. कई अन्य की संलिप्तता सामने आयी है. जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा.
किशोर कौशल, एसएसपी
अभिषेक कुमार ने बताया कि अरुण कुमार ने पहले भी बिहार एसएससी की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक किया था. इस दौरान उसने परीक्षार्थियों से 14 करोड़ रुपये ठगे थे. बिहार एसएससी के तत्कालीन अध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसके बाद अरुण को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
अभिषेक ने बताया कि हाइकोर्ट में ही अरुण से मुलाकात हुई. पटना हाइकोर्ट का सेक्शन ऑफिसर होने के कारण अरुण ने उससे कहा कि किसी प्रकार जमानत दिला दीजिए. लाखों रुपये लेकर अभिषेक ने जमानत करा दी. इससे खुश होकर अरुण ने अभिषेक को गिरोह में शामिल कर लिया.
अरुण कुमार खुद चार्जशीटेड था, इसलिए उसने कंपनी का निदेशक व भूषण को बनाया. अजीत कंपनी का कर्मचारी है, जबकि भूषण अरुण का ड्राइवर है.
रिपोर्ट- अजय दयाल