Kargil Vijay Diwas 2021, रांची न्यूज (अजय दयाल) : राष्ट्रपति पुरस्कार (President’s Award) से सम्मानित हवलदार रामरतन महतो ने कारगिल दिवस पर युद्ध के समय के अपने अनुभवों को साझा किया. रामरतन बताते हैं कि 22 जून को उन्हें कारगिल की लड़ाई लड़ने का मौका मिला. उन्होंने 29 दुश्मनों को मार गिराया था.
रामरतन बताते हैं कि विरोधी सेना गोले बरसा रही थी, लेकिन उनका निशाना सटीक नहीं बैठ रहा था. अचानक उन्हें लगा कि अब दुश्मन सामने से हमला करनेवाला है. उन्होंने एलएमजी से फायरिंग शुरू की और 29 दुश्मनों को मार गिराया. तीन मैगजीन खाली कर दी थी.
अगले दिन जब वह पोस्ट पर थे, तो दुश्मनों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया. पेट की अंतड़ी बाहर निकल गयी थी. पैर भी टूट गया था. फिर भी उसी हालत में उन्होंने तीन किमी जीप चलायी और इलाज कराने बैरक में पहुंचे. प्राथमिक उपचार के बाद हेलीकॉप्टर से श्रीनगर भेज दिया गया. ऑपरेशन कर सब ठीक कर दिया गया. पैर में रॉड लगा हुआ है. रामरतन महतो सिमडेगा के रहनेवाले हैं.
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रामरतन ने कहा कि तीन मैगजीन खाली होने पर जीओसी विक्रम सिंह उनसे बोले कि बिना ऑर्डर के तुमने फायरिंग की है, तेरा कोर्ट मार्शल हो जायेगा. तब उन्होंने कहा कि साहब देखो कि हमने कितने दुश्मनों को मार गिराया है.
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इस पर जीओसी ने जाकर देखा कि काफी दुश्मन मरे पड़े हैं. खुश होकर वह उन्हें कंधे पर उठाकर झूमने लगे. रामरतन ने कहा कि जीओसी विक्रम सिंह ने उनका निक नेम मूर्ख रख दिया था. जीओसी का कहना था कि रामरतन किसी की बात नहीं सुनते हैं और दुश्मनों पर टूट पड़ते हैं.
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Posted By : Guru Swarup Mishra