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लालू की किस्मत में क्या: केली बंगला या जेल! झारखंड हाइकोर्ट में होगा फैसला, 11 सितंबर को सुनवाई संभव

संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री और चारा घोटाला के कई मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के निदेशक के बंगला में रहेंगे या होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार जायेंगे, इस पर शुक्रवार (11 सितंबर, 2020) को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हो सकती है. लालू को केली बंगला में शिफ्ट किये जाने के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है.

रांची : संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री और चारा घोटाला के कई मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के निदेशक के बंगला में रहेंगे या होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार जायेंगे, इस पर शुक्रवार (11 सितंबर, 2020) को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हो सकती है. लालू को केली बंगला में शिफ्ट किये जाने के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है.

याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है. पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव पर आरोप है कि हिरासत में रहते हुए उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. चुनावी दरबार लगाये. यह जेल मैनुअल का सरासर उल्लंघन है. इसी आधार पर रांची के मनीष कुमार की ओर से उनके वकील मनोज टंडन ने हाइकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है.

याचिका में कहा गया है कि लालू लगातार जेल मैनुअल का उल्लंघन कर रहे हैं. इसलिए उन्हें तत्काल होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता की दलील है कि लालू प्रसाद यादव एक सजायाफ्ता हैं. यदि वह बीमार हैं, तो उन्हें कॉटेज में रखा जा सकता है, रिम्स के निदेश के बंगला में एक सजायाफ्ता कैदी को रखना उचित नहीं है.

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ज्ञात हो कि लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला के कई मामलों में पहले ही सजा हो चुकी है. बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में उनकी सेहत बिगड़ने के बाद राजद सुप्रीमो को रिम्स में भर्ती कराया गया था. इसके बाद एम्स और बंबई में भी उनका इलाज हुआ. बड़े बेटे की शादी के लिए उन्हें सशर्त जमानत भी कोर्ट से मिली. लेकिन, बाद में उनके राजनीतिक बयानों को देखते हुए कोर्ट ने लालू प्रसाद को सरेंडर करने के लिए कहा.

इसके बाद से लालू प्रसाद यादव रिम्स में न्यायिक हिरासत में इलाज करवा रहे हैं. रिम्स के पेइंग वार्ड को कोविड-19 वार्ड बनाये जाने के बाद लालू प्रसाद यादव पर कोरोना का संकट मंडराने लगा था. इसलिए उन्हें रिम्स निदेश के बंगला में शिफ्ट कर दिया गया. याचिकाकर्ता के वकील को इस पर घोर आपत्ति है. उनका कहना है कि रिम्स के निदेशक के बंगले में किसी कैदी को नहीं रखा जा सकता.

इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले ने झारखंड हाइकोर्ट को बताया है कि राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव बिहार चुनाव के मद्देनजर हर दिन अपनी पार्टी के सैकड़ों नेता और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. याचिकाकर्ता ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के निदेशक, झारखंड के गृह सचिव के अलावा केंद्रीय गृह सचिव को भी प्रतिवादी बनाया है.

याचिकाकर्ता के वकील ने 90 के दशक के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया है, जिसके जरिये लालू यादव को बीएमपी गेस्ट हाउस से बेऊर जेल भेजा गया था. दरअसल, चारा घोटाला के मामले में जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था, तो उन्हें बीएमपी गेस्ट हाउस में रखा गया था.

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उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका पर तत्काल आदेश (SLP CRL 2296/1998 Order Dated 27.11.1998) पारित किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव को गेस्ट हाउस से बेऊर जेल शिफ्ट करने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लालू प्रसाद यादव को बेऊर जेल भेज दिया गया. स्वास्थ्य कारणों से रिम्स भेजे गये लालू को तत्काल होटवार जेल भेजने की मांग कोर्ट से की गयी है.

Posted By : Mithilesh Jha

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