Jharkhand News : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में जमीन का सर्वे कराने की दिशा में विभाग ठोस कदम उठाए. इसके अभाव में आने वाले दिनों में लोगों की परेशानियां बढ़ेंगी. इसलिए इस दिशा में तेजी लाने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में उपायुक्त समेत अन्य पदाधिकारी जमीन से जुड़े मुकदमों के निष्पादन के लिए राजस्व कोर्ट नहीं लगाते हैं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उपायुक्त समेत अन्य पदाधिकारी नियमित कोर्ट लगाकर जमीन से जुड़े मुकदमों का निबटारा करें.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजस्व, भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग के दाखिल खारिज उत्तराधिकार नामांतरण, राजस्व संग्रहण और राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में जमीन का सर्वे कराने की दिशा में विभाग ठोस कदम उठाए. उन्होंने इसके लिए अन्य राज्यों में जमीन के सर्वे के लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं का अध्ययन का रिपोर्ट तैयार करने को कहा और उसके आधार पर राज्य में भी जमीन का सर्वे करने की दिशा में पहल करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि जमीन का सर्वे नहीं होने से आने वाले दिनों में कई विवादों के साथ लोगों की परेशानियां और बढ़ जाएंगी. इसलिए इसका समाधान बेहद जरूरी है.
राजस्व विभाग के द्वारा सीएम हेमंत सोरेन को बताया गया कि झारखंड में कुल 12 लाख 97 हज़ार 967 दाखिल खारिज के आवेदन आए. इसमें 5 लाख 84 हज़ार आवेदनों का निष्पादन कर दिया गया, जबकि 6 लाख 42 हज़ार आवेदन रिजेक्ट किए गए. वर्तमान में 528 ऐसे आवेदन हैं जो 90 दिनों से ज्यादा समय से लंबित हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि दाखिल खारिज के मामलों का यथाशीघ्र निष्पादन सुनिश्चित करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में उपायुक्त समेत अन्य पदाधिकारी जमीन से जुड़े मुकदमों के निष्पादन के लिए राजस्व कोर्ट नहीं लगाते हैं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उपायुक्त समेत अन्य पदाधिकारी नियमित कोर्ट लगाकर जमीन से जुड़े मुकदमों का निबटारा करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि उपायुक्त एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा लगाए गए राजस्व कोर्ट में निष्पादन किए गए मामलों की 3 महीने के बाद समीक्षा की जाएगी.
सीएम हेमंत सोरेन ने बैठक में निर्देश दिया कि दाखिल खारिज के मामले 90 दिनों से ज्यादा लंबित नहीं रहें. इसे सुनिश्चित किया गया. सभी उपायुक्त इस पर विशेष ध्यान दें. रजिस्ट्री आधारित दाखिल खारिज हो, इसे सुनिश्चित करें. उत्तराधिकार से जुड़े दाखिल खारिज के मामलों का यथाशीघ्र निष्पादन सुनिश्चित किया जाए. विभाग की वेबसाइट पर अपलोड होने वाले दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए.