Ranchi News: रिम्स की अव्यवस्था ने शनिवार को बिहार के गया के रहनेवाले 12 वर्षीय आदित्य की जान ले ली. बच्चे को किडनी की समस्या थी. रिम्स में डायलिसिस में लंबा वक्त लगता देख परिजन उसे निजी क्लिनिक में ले जाने लगे. चौथे फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर आने के लिए परिजन ने लिफ्ट का सहारा लिया, जो बीच में ही अटक गयी. इस बीच बच्चे की हालत बिगड़ गयी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गयी. बच्चे के चाचा का आरोप है कि वे वार्ड से शव ले जाने के लिए ट्रॉली मांगते रहे. काफी देर तक जब किसी ने उनकी बात नहीं सुनी, तो वे अपने भतीजे का शव गोद में उठा कर चौथे तल्ले से नीचे उतरे.
जानकारी के अनुसार, आदित्य को लेकर उसके परिजन शनिवार सुबह 6:40 बजे रिम्स पहुंचे थे. उसे वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ आइसीयू की जरूरत थी. लेकिन, कोई बिस्तर खाली नहीं होने की वजह से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पीडियाट्रिक्स आइसीयू में एक बिस्तर पर रखा गया, जहां पहले से ही गढ़वा निवासी एक डेंगू पीड़ित बच्चे का इलाज चल रहा था. डॉक्टर ने परिजन को बच्चे का डायलिसिस कराने की सलाह दी. नये ट्रॉमा सेंटर में बच्चे को डायलिसिस के लिए सुबह 11 बजे का समय दिया गया. बच्चे के चाचा के मुताबिक, डॉक्टरों ने कहा कि रिम्स में डायलिसिस के लिए 10-12 घंटे का इंतजार करना होगा. इसलिए बच्चे को किसी निजी अस्पताल में ले जायें. परिजन उसे लेकर लिफ्ट से नीचे उतर ही रहे थे कि बिजली कटने की वजह से लिफ्ट बीच में ही अटक गयी.
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रिम्स की अधिकांश लिफ्ट अक्सर खराब ही रहती हैं. फिलहाल यहां विभिन्न हिस्सों में 10 लिफ्ट खराब हैं. मेडिसिन आइसीयू व बर्न वार्ड जाने वाली लिफ्ट खराब है. वहीं, कार्डियोलॉजी बिल्डिंग में छह लिफ्ट में चार खराब हैं. पेइंग के तीन लिफ्ट में दो लिफ्ट खराब रहती हैं. कार्डियोलॉजी में परामर्श लेने हृदय रोगियों को रैंप से जाना पड़ता है. वहीं, पुरानी बिल्डिंग में आनेवाले गर्भवती महिलाओं को सीढ़ी से जाना पड़ता है. हालांकि, रिम्स प्रबंधन लिफ्ट के मेंटेनेंस पर हर साल लाखों रुपये खर्च करता है.
मौत के बाद आदित्य के शव को उसी बेड पर रख दिया गया, जिस पर गढ़वा के मझीआंव का डेंगू पीड़ित बच्चे का भी इलाज चल रहा था. करीब दो घंटे तक आदित्य का शव उसी बच्चे के साथ बेड पर पड़ा रहा. इस दौरान इलाजरत बच्चे की मां उसे गोद में लेकर अपने सीने से चिपकाये रही.
परिजन को किसी ने गलत सूचना दी कि रिम्स में डायलिसिस में लंबा इंतजार करना होता है. सुबह नौ बजे ट्रॉली वाले मरीज को डायलिसिस के लिए लिफ्ट में ले जा रहे थे. इसी दौरान मीटरिंग का काम होने के कारण बिजली चली गयी थी, इस बीच मरीज की स्थिति गंभीर हो गयी. तमाम कोशिशों के बावजूद सुबह 11 बजे बच्चे की मौत हो गयी. रोगी को मृत घोषित किये जाने के आधे घंटे के भीतर शव को स्थानांतरित कर देना चाहिए. इस कार्य में देरी हुई है.
डॉ राजीव रंजन, जनसंपर्क अधिकारी