रांची, संजीव सिंह. सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की शिकायतें सुनने व इसका निबटारा करने के लिए लोकपाल की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गयी है. यूजीसी ने इससे संबंधित गजट अधिसूचना जारी कर दी है. साथ ही इसे अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया है. सभी विवि को तीन माह में एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जहां कोई भी पीड़ित छात्र अपनी शिकायत के निवारण के लिए आवेदन कर सकता है. इस पर पहले छात्र शिकायत निवारण समिति सुनवाई करेगी.
लोकपाल के रूप में किसकी होगी नियुक्ति
समिति द्वारा समाधान नहीं होने पर इसे लोकपाल के पास भेजना होगा. विश्वविद्यालयों द्वारा लोकपाल के रूप में सेवानिवृत्त कुलपति, सेवानिवृत्त प्रोफेसर/डीन सहित पूर्व जिला न्यायाधीश की नियुक्ति की जा सकेगी. वैसे व्यक्ति की नियुक्ति होगी, जिनके पास कम से कम 10 वर्ष का उक्त पद का अनुभव हो. लोकपाल के रूप में इनका कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष के लिए या उम्रसीमा 70 वर्ष तक के लिए होगी. इसके अलावा तीन साल के लिए पुनर्नियुक्ति भी हो सकेगी. सुनवाई का संचालन करने के लिए लोकपाल को संबंधित विवि द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार प्रतिदिन प्रति बैठक के आधार पर शुल्क का भुगतान किया जायेगा. इसके अतिरिक्त वह यात्रा पर किये गये व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए भी पात्र होंगे.
शिकायत निवारण समिति के अध्यक्ष होंगे प्रोफेसर
सभी विवि व कॉलेजों में छात्र शिकायत निवारण समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर होंगे. जबकि संस्थान के चार प्रोफेसर/वरिष्ठ संकाय सदस्य इसके सदस्य होंगे. समिति में शैक्षणिक योग्यता/खेलकूद में उत्कृष्टता गतिविधियों में प्रदर्शन के आधार पर नामित किये जानेवाले छात्रों से एक प्रतिनिधि इसमें विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. इसके अलावा समिति में अध्यक्ष या कम से एक सदस्य का महिला होना आवश्यक है. कम से कम एक सदस्य या अध्यक्ष एससी/एससी/ओबीसी वर्ग से होना चाहिए. समिति में अध्यक्ष व सदस्य का कार्यकाल दो वर्ष का होगा. विशेष आमंत्रित सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष का होगा. बैठक के लिए कोरम पूरा करने के लिए अध्यक्ष सहित विशेष आमंत्रित सदस्य को छोड़कर कम से कम तीन व्यक्ति का होना आवश्यक होगा. यूजीसी ने सभी विवि व कॉलेजों में समिति का तत्काल गठन करने का भी निर्देश दिया है.
क्या-क्या होंगे लोकपाल के कार्य
लोकपाल नामांकन, कोर्स, परीक्षा के संचालन में अथवा मूल्यांकन की प्रक्रिया में गड़बड़ी के मुद्दों सहित अन्य मामलों पर छात्रों की शिकायत/अपील के आधार पर कार्रवाई करेगा. लोकपाल कथित रूप से किये गये भेदभाव की शिकायतों की सुनवाई करने के लिए न्याय मित्र के रूप में किसी भी व्यक्ति की सहायता प्राप्त कर सकता है. लोकपाल पीड़ित छात्र से अपील प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करने का प्रयास करेंगे.