Ranchi News: द नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) मेगा फूड पार्क के मामले को लेकर फरवरी में सुनवाई करेगा. गौरतलब है कि एनसीएलटी ने कॉरपोरेट दिवालिया समाधान के तहत इंडियन ओसियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड के समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी. यह मंजूरी 10 फरवरी 2022 को एनसीएलटी ने दी थी. इसके तहत कंपनी को राशि जमा करना था, पर कंपनी डिफॉल्ट हो गयी. फिर एनसीएलटी ने नोटिस दिया. कंपनी द्वारा मेगा फूड पार्क को लेने पर सहमति जतायी गयी है. फरवरी में एनसीएलटी कंपनी के लोगों को पक्ष सुनेगा.
इंडियन ओसियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड कंपनी सिंगापुर की है और फूड प्रोसेसिंग का भी कारोबार करती है. फरवरी 2009 में तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय, बाबा रामदेव और तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने इसका शिलान्यास किया था. जबकि उदघाटन 15 फरवरी 2016 को तत्कालीन सीएम रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, साध्वी निरंजन ज्योति और पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने किया. जबकि वहां कोई यूनिट नहीं लगी थी. बैंक के लोन पर ब्याज बढ़ता रहा. इस पर बैंक का 39 करोड़ 21 लाख 83 हजार 559 रुपये 26 फरवरी 2018 से बकाया हो गया. फिर इलाहालाबद बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत इसे अपने कब्जे में ले लिया.
बैंक द्वारा इसे एनसीएलटी को सौंप दिया गया. एनसीएलटी ने इसे अपने कब्जे में लिया. दिवालिया घोषित करते हुए कॉरपोरेट इनसोल्वेंसी रिज्यूल्यूशन प्रोसेशन यानी दिवालिया समाधान की प्रक्रिया शुरू की गयी. जिसमें एक मात्र कंपनी इंडियन ओसियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड ने ही समाधान की योजना पेश की. इसके तहत कंपनी द्वारा 20 करोड़ का ऑफर दिया गया. जिसे स्वीकार कर लिया गया था. पर कंपनी द्वारा राशि जमा नहीं की जा सकी है. जिस पर अब सुनवाई होनी है.
वर्ष 2009 में तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा रांची में मेगा फूड पार्क योजना की स्वीकृति दी गयी थी. रियाडा (अब जियाडा) द्वारा 56 एकड़ जमीन दी गयी थी. 13 वर्ष हो गये पर अब तक मेगा फूड पार्क आरंभ नहीं हो सका है. इसका शिलान्यास और उदघाटन भी हुआ पर कोई यूनिट यहां आरंभ नहीं हो सकी. मेगा फूड पार्क के निर्माण के लिए झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड द्वारा रांची के इलाहाबाद बैंक हरमू ब्रांच से 33.95 करोड़ रुपये का लोन लिया गया. इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा 43 करोड़ की राशि अनुदान स्वरूप दी गयी थी.
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