भारत का सबसे महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 अंतरिक्ष विज्ञान के नये सपने को साकार करने से अब कुछ ही दूरी पर है. प्रत्येक भारतीय उस पल के बारे में सोच कर ही रोमांचित हो रहा है, जब भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जायेगा. चंद्रयान-3 लैंडिंग में झारखंड के युवा वैज्ञानिक आयुष और देवघर जिले की कोमल भी शामिल है. आयुष ने तो इस मिशन में कई चीजों को डिजाइन किया है.
बता दें कि पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-3 की कामयाबी पर टिकी है. इसरो ने मंगलवार को तस्वीरें ट्वीट कर दुनिया को बताया है कि भारत का यह महत्वपूर्ण मिशन एकदम तय समय के मुताबिक आगे बढ़ रहा है. सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी कहा, सब कुछ सही है. हम निश्चय ही सफलता हासिल करेंगे.
रोवर प्रज्ञान में इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है. जैसे-जैसे प्रज्ञान आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा और इसरो का लोगो बनता चला जायेगा.
30 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा लैंडर ‘विक्रम’
उतरते ही लैंडर का साइड पैनल मुड़ेगा रोवर के उतरने के लिए खुलेगा रास्ता
लैंडर पर लगे तीन पेलोड्स प्लाज्मा, तापमान व भूकंपीय क्षेत्र की करेंगे स्टडी
लैंडर के सेंसर चांद की सतह पर मौजूद खनिजों की करेंगे पहचान
04 घंटे बाद रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर से निकलेगा बाहर
एक सेमी/सेकेंड की स्पीड से चलेगा चांद की सतह पर
14 दिनों तक रोवर करेगा चांद की सतह का अध्ययन
चांद के मौसम का जानेगा हाल, पानी का लगायेगा पता
युवा वैज्ञानिक आयुष झा चंद्रयान-3 की लैंडिंग टीम में काम कर रहे हैं. आयुष के पिता ललन झा चक्रधरपुर में सरकारी शिक्षक थे. आयुष ने 10वीं तक की पढ़ाई नवोदय विद्यालय, चाईबासा से पूरी की है. 12वीं तक की पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर से की है. उसी दौरान उन्होंने आइआइटी की परीक्षा पास की, लेकिन उन्होंने आइआइटी में अपना नामांकन नहीं कराया और स्पेस साइंस की पढ़ाई करने का फैसला किया.
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम से स्नातक की पढ़ाई की. उसके बाद 2016 में वैज्ञानिक के रूप में इसरो ज्वाइन किया. वर्तमान में आयुष सिस्टम डिजाइन एंड प्लेलॉड डेवलपमेंट साइंटिस्ट, स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद में कार्यरत हैं. आयुष मूलत: बिहार के सहरसा जिले के कहरा गांव (ब्राह्मण टोला) के रहने वाले हैं.
आयुष की इसरो में नौकरी होने के बाद से ही वह चंद्रयान लाॅन्चिंग की टीम में रहा है. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के दौरान भी वह रडार के डेवलपमेंट और उसकी टाइमिंग पर काम किया था. चंद्रयान-3 को बनाने से लेकर उसकी लॉन्चिंग तक की टीम में उसे शामिल किया गया है. आयुष ने चंद्रयान-3 के लिए भी कई चीजों को डिजाइन किया है. इसके अलावा टाइमिंग को लेकर भी उसने एक उपकरण का निर्माण किया है.
आयुष के पिता ललन झा ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि आयुष की इसरो में नौकरी होने के बाद से ही वह चंद्रयान लाॅन्चिंग की टीम में है. उनके बेटे को देश का गौरव बढ़ाने और सेवा करने का मौका मिला, यह उनके लिए गर्व की बात है. इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है. उनका जीवन सफल हो गया. अब और कुछ पाने की उनकी कोई जिज्ञासा नहीं है.
आयुष झा की मां विनीता झा ने बताया कि नवोदय विद्यालय में नामांकन होने के बाद से वह परिवार से दूर रहा. केवल छुट्टियों के दौरान ही घर आता था. कुछ दिन रहने के बाद चला जाता था. 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद जमशेदपुर चला गया. उसका अब तक का जीवन सैनिक जैसा रहा है. बेटे को आज इस मुकाम पर देख कर काफी खुशी हो रही है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) के चंद्रायन-3 मिशन के अनुसार बुधवार को चंद्रयान-3, चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. गुरुकुल में छात्रों को चंद्रयान-3 की लाइव लैंडिंग दिखायी जायेगी. डॉ एकता रानी ने बताया कि लाइव लैंडिंग के प्रसारण की तैयारी कर ली गयी है. इस बारे में पूर्व रक्षा वैज्ञानिक रवि शंकर छात्रों को चंद्रयान-3 मिशन के सभी पहलुओं की जानकारी देंगे. इससे विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति छात्रों में ज्ञान, रुचि और उत्साह की वृद्धि होगी. डॉ एकता ने कहा है कि इस विशेष आयोजन में यदि कोई बाहरी छात्र, शिक्षक या अभिभावक गुरुकुल से जुड़ना चाहेंगे, तो उनका भी स्वागत है.
आज इसरो में चंद्रयान-3, चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की गवाह देवघर की बिटिया कोमल भी बनेंगी. वह इसरो में साइंटिस्ट इंजीनियर एसडी के पद पर कार्यरत हैं. वर्ष 2017 में इसरो ज्वाइन कर वह नासिर्फ देवघर बल्कि देश को गौरवान्वित की है. पिता मनोरंजन वर्मा, सोशल ऑडिट टीम में हैं. मां पूनम वर्मा, हेल्थ ट्रेनर हैं.