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सीएम को भेजा गया समन राजनीति से प्रेरित, पिछली सरकार के लोगों को क्यों नहीं बुलाते : मिथिलेश ठाकुर

पेयजल व स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर गुरुवार को प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए. मंत्री श्री ठाकुर ने प्रश्नों का संतुलित जवाब दिया. विभागीय कामकाज, समस्याओं पर खुल कर अपनी बातें रखी.

पेयजल व स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर गुरुवार को प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए. मंत्री श्री ठाकुर ने प्रश्नों का संतुलित जवाब दिया. विभागीय कामकाज, समस्याओं पर खुल कर अपनी बातें रखी. वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर बेबाक बोले. वहीं मुख्यमंत्री को इडी के समन पर भाजपा को घेरा. मुख्यमंत्री को भेजे गये समन और खुद पर ऑफिस पर प्रॉफिट के मामले पर कहा कि यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. यह लोकतंत्र के लिए कहीं से भी अच्छा संदेश नहीं है.

पहली बार विधायक चुने गये, मंत्री बने, तीन वर्षों के कामकाज का क्या अनुभव रहा ?

बड़ी अग्निपरीक्षा के बाद आज यहां पहुंचा हूं. दो बार चुनाव हारा और तीसरी बार में जीत हासिल हुई. क्षेत्र की जनता ने काफी अनुभवी बनाया. इसका फायदा आज दिख रहा है. गढ़वा की एक-एक पगडंडी को जानता हूं. गढ़वा के हर क्षेत्र में काम हुआ है. आधारभूत संरचना से लेकर कृषि के हित और क्षेत्र को सुंदर बनाने का काम किया गया है. आजादी के बाद गढ़वा में जो काम नहीं हुआ था, वह पिछले तीन साल में हुआ है. पहले का अनुभव अब काम आ रहा है. चाईबासा नगर पर्षद में 2008 और 2013 में उपाध्यक्ष पद पर रहा. बाद में नगर पर्षद का अध्यक्ष भी बना. मुख्यमंत्री का हर वक्त सहयोग मिला.

भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा लगातार सरकार को घेर रही है. सीएम तक को इडी ने समन किया है, क्या कहेंगे?

मुख्यमंत्री को भेजा गया समन पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. यह लोकतंत्र के लिए कहीं से भी अच्छा संदेश नहीं है. मुख्यमंत्री को 12 घंटे में उपस्थित होने का समय दिया जाता है. देश के इतिहास में शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ होगा. उनकी लोकप्रियता को धक्का पहुंचाया जा रहा है. सीबीआइ ने भी लालू प्रसाद से मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए आवास पर पूछताछ के लिए समय मांगा था. उनसे 10 घंटे पूछताछ हुई थी. इडी की पूछताछ से मुख्यमंत्री कभी पीछे नहीं हटनेवाले हैं. जिस तरह की कार्रवाई हो रही है, उसमें निष्पक्षता नहीं दिख रही है. आखिर पूछताछ के लिए पिछली सरकार के जिम्मेवारों को क्यों नहीं बुलाया जा रहा है. भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से पहले उन्हें अपने दामन में झांकना चाहिए.

आप हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट मंत्री है, किचन कैबिनेट में भी हैं. सरकार के अहम फैसले में रहते हैं ?

किचन कैबिनेट के बारे में मुझे पता नहीं. कैबिनेट का सदस्य हूं. पूरी आस्था व समर्पण भावना से किसी भी काम में जुड़ता हूं. विषम परिस्थिति में सारे काम छोड़ कर जरूरी काम में लगता हूं. इसे मैं अपना कर्तव्य समझता हूं. जिस दल ने मुझे सम्मान दिया है, उसके लिए हर समय तैयार हूं. गुरुजी मुझसे ज्यादा प्यार करते हैं.

भाजपा कह रही है कि महागठबंधन के लोग सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार के लोगों को आंदोलन नहीं, इडी को जवाब देना चाहिए था.

आमतौर पर देखा गया है कि जो विपक्ष में रहते हैं, वे धरना-प्रदर्शन करते हैं. सत्ता में रहने के बाद भी हमें मजबूर किया गया. राज्यपाल तक भी अपनी बात पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया. मुख्यमंत्री को इडी का समन मिलने पर स्वत: कार्यकर्ता पहुंचे थे. बाद में मुख्यमंत्री ने उन्हें समझा कर घर भेजा. इस दौरान स्कूल बसों और एंबुलेंस को रास्ता देने के लिए खुद मुख्यमंत्री ने बार-बार आग्रह किया. स्वास्थ्य विभाग की सहिया के प्रदर्शन के कारण जाम हुआ था.

कांग्रेस-झामुमो के नेता अपने ही बयान पर घिर रहे हैं. आप टांग तोड़ने की बात करते हैं, तो बंधु तिर्की पटक-पटक कर मारने की बात कहते हैं.

हर बात का शाब्दिक अर्थ होता है. टांग अड़ाने की बात यानी जो भी विकास में बाधा बन रहे हैं, टांग तोड़ने का मतलब वैसी ताकतों को रोकना है. बंधु तिर्की की बात भी इसी अर्थ में है. इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं है.

आप पर भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप लगा है. चुनाव आयोग से अयोग्य घोषित करने की शिकायत की गयी थी. क्या कहेंगे?

मेरे ऊपर भी जो आरोप लगा है, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. इसमें सच्चाई नहीं है. पिता स्वतंत्रता सेनानी थे. पिता समाजसेवी होने के साथ-साथ बिहार सरकार में वन विभाग में अधिकारी के रूप में कार्यरत थे. व्यापार से मुझे जो भी लाभ हुआ, उससे जनता को लाभ पहुंचाया. मैंने अपने व्यक्तिगत कोष से काम कराया. जरूरतमंदों की हर प्रकार से सहायता की. कभी भी व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए राजनीति नहीं की. एक अप्रैल, 2019 में ही सत्यम बिल्डर्स से इस्तीफा दे दिया था. सब कुछ कागज में है.

पलामू लगातार सुखाड़ व अकाल की चपेट में रहता है. कनहर, तहले जैसी सिंचाई की कई योजनाएं लंबित हैं. आपकी सरकार ने क्या पहल की है?

कनहर बराज को लेकर जो तकनीकी अड़चने हैं, उसे सरकार के स्तर से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही पलामू गढ़वा के लिए सोन नदी पानी लिफ्ट कर पहुंचाने के लिए 1500 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है. पलामू प्रमंडल में खेतों तक पानी पहुंचे, इसके लिए सरकार गंभीर है. मुख्यमंत्री भी निरंतर इसकी समीक्षा कर रहे हैं.

पलामू के लोगों का कहना है कि 1932 का सर्वे पलामू के कई जगहों पर नहीं हुआ है.

1914 से 1918 में ही पलामू का सर्वे हो गया है. पलामू प्रमंडल के लोग काफी खुश हैं. सभी को लाभ मिलेगा.

क्षेत्रीय भाषा में भोजपुरी का विस्तार हुआ था, धनबाद व बोकारो में शामिल किया गया था, आपकी सरकार ने इसे हटा दिया़ पलामू में इसे हटाने का विरोध भी हुआ था. क्या कहेंगे?

भोजपुरी बोलने में कहां मनाही है? लेकिन, जहां तक तृतीय व चतुर्थवर्गीय पद पर नियुक्ति का मामला है, तो इसमें मूलवासी का हक होना भी चाहिए. यदि ऐसा नहीं होगा, तो झारखंड राज्य के गठन का उद्देश्य क्या रह जायेगा. अलग राज्य गठन के लिए यहां के मूलवासियों ने जो त्याग बलिदान किया, उसके लिए उन्हें उनका वाजिब हक मिलना ही चाहिए. पूर्व की सरकार ने जो बहाली की, उसमें इन पदों पर दूसरे राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अधिक आ गये. ऐसे में मूलवासियों का कैसै भला होगा?

जहां तक पलामू का सवाल है, तो भोजपुरी नही, बल्कि मिश्रित भाषा बोली जाती है. यह पलमुवा के नाम से जान जाता है. पलामू बौद्धिक रूप से काफी संपन्न इलाका है, वहां नागपुरी, खोरठा जानने वाले लोग भी हैं. वहां पर भाषा को लेकर कोई विरोध या विवाद मेरी समझ से नहीं है.

राज्य के कई जिलों में ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम पूरा हो गया है. इनके संचालन व संपोषण की क्या योजना है? क्या लोगों से जल कर लेने का सरकार विचार रखती है?

फिलहाल जल कर लगाने की कोई योजना नही है. सभी जिलों को शत-प्रतिशत नल जल से जोड़ा जाये, इस पर काम चल रहा है. 2024 तक 61.22 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है. जलापूर्ति योजना को सोलर से संचालित किया जा रहा है, ताकि बिजली पर निर्भरता कम हो.

आबादी बढ़ने के साथ लोगों के पेयजल की आवश्यकता बढ़ी है. जलाशयों की क्षमता भी नहीं बढ़ी है. इसको लेकर भविष्य की क्या योजना है?

इसे लेकर जन जागरूकता जरूरी है. जल स्रोत के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक होना होगा. बड़े-बड़े नदी आज नाले के रूप में परिवर्तित हो गये हैं. गढ़वा की दानरो और सरस्वती नदी पर जो पुल बना है, पहले बरसात के मौसम में उस पुल से होकर पानी गुजरता था. वर्तमान स्थिति यह है कि दोनों नदियां नाले में तब्दील हो गयी हैं. नदियों के संरक्षण के लिए जन जागरूकता बेहद जरूरी है.

आपके विभाग से पथ निर्माण विभाग परेशान है. अच्छी-खासी सड़क को पाइप लाइन बिछाने के लिए आपका विभाग तोड़ देता है. साल-छह महीने पहले बनी सड़क पर भी आपका विभाग काम करता है. दोनों विभागों में समन्वय नहीं है.

पथ निर्माण विभाग को भी डीपीआर बनाने के वक्त ध्यान देना चाहिए. यदि उनके विभाग द्वारा किसी भी सड़क को क्षतिगस्त की जाती है, तो उसकी मरम्मत कराने का विभागीय प्रावधान है. इस तरह की शिकायत जहां भी मिलती है कि संवेदक ने सड़क को उसी हाल पर छोड़ दिया है, तो संबधित संवेदक के खिलाफ कार्रवाई भी होती है. आम लोगों को भी इसकी जानकारी रखनी चाहिए.

2024 तक राज्य के 61.21 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाना है, अभी तक 15 लाख घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंच पाया है. निर्धारित समय में यह लक्ष्य कैसे पूरा होगा. क्या योजना है?

देखिए, जब मैंने विभाग का कार्यभार संभाला था, तो उस वक्त हर घर नल योजना की उपलब्धि चार प्रतिशत थी. पिछले तीन वर्षों में से दो साल कोरोना का संकट रहा, फिर भी विभाग ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. चालू वित्त वर्ष में 18 लाख 39 हजार घरों तक नल से जल पहुंचाना था. जिसके विरुद्ध अब तक 15 लाख घरों में नल का पानी पहुंचाया जा चुका है. अगले वित्त वर्ष में 27 लाख 63 हजार घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है. 2024 तक मिशन को पूरा करना है.

लेकिन झारखंड की भौगौलिक परिस्थिति दूसरे राज्यों की तुलना में भिन्न है. इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय से इस योजना का एक साल के अवधि विस्तार का अनुरोध राज्य सरकार के स्तर से किया गया है. पूर्व की सरकार की बात करें, तो उन्होंने बाहर की कंपनियों को ठेका दे दिया था. स्थिति यह थी विभाग के सचिव से लेकर अभियंता प्रमुख तक इन कंपनियों के प्रतिनिधियों से कुछ कहने से कतराते थे. लेकिन उनके प्रभार संभालने के बाद स्थिति बदली, ऐसी कंपनियों पर शिकंजा कसा गया. इजराइल की कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया. तब कार्य को गति मिली. आज तेजी से काम हो रहा है.

शिबू सोरेन के दौर का झामुमो और हेमंत सोरेन के कमान संभालने के बाद के झामुमो में कितना बदलाव आया है. झामुमो में युवा नेताओं को जिम्मेवारी मिल रही है या नहीं?

गुरुजी के नेतृत्व में अलग राज्य गठन की लडाई लड़ी गयी. अलग राज्य बना. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य को गढ़ने का काम किया जा रहा है. गुरुजी ने जब महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, तो बड़ी संख्या में उनके साथ युवा जुड़ें. उस दौर के अनुभव संपन्न नेता स्टीफन मंरांडी, नलिन सोरेन, मथुरा महतो सरीखे नेता आज भी मजबूती के साथ पार्टी में हैं. गुरु जी ने अपना काम किया, हेमंत जी अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं.

राज्य के कई इलाकों के भू-जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक पायी जाती है. जल की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए क्या योजना है.

भूमिगत जल स्रोत का कम से कम उपयोग हो, इस कार्य योजना पर काम चल रहा है. फ्लोराइड मुक्त जल लोगों को उपलब्ध कराने की दिशा में काम हुआ है. उनके निर्वाचन क्षेत्र गढ़वा में यह चुनावी मुद्दा हुआ करता था. अब मुझे इस बात का संतोष है कि गढ़वा के प्रतापपुर में अब लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है. अब यह मुद्दा नहीं रहा.

आज विधानसभा सत्र है. 1932 के खतियान को स्थानीयता की पहचान बनाने के मुद्दे पर चर्चा होगी, यह विधानसभा से प्रस्ताव पारित होना है. आप खुश हैं ना?

100 से भी अधिक प्रतिशत है, तो उतना मैं खुश हूं. 22 सालों के बाद झारखंड के मूलवासी, आदिवासी, खतियानी लोगों को उनकी पहचान मिलने जा रही है. इसे लेकर किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए. मैं खुद बिहार का खतियानी हूं. झारखंड के प्रति मैं पूरी तरह से समर्पित हूं. जिसका जो हक है, सरकार उसे दिलायेगी.

जल जीवन में मिशन के तहत पाकुड़ समेत चार जिलों की स्थिति देश के 10 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है. इनके लिए क्या कोई ठोस योजना बनायी गयी है?

बड़ी-बड़ी योजना ली गयी है. पाकुड़ से साहिबगंज में गंगा का पानी ट्रीट कर उसकी आपूर्ति की योजना तैयार की गयी है. 3300 करोड़ की योजना है. इसे तीन से चार पार्ट में किया गया है. जामताड़ा में तीन बड़ी योजना पर काम चल रहा है. लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है.

बोले मंत्री

  • हर बात का शाब्दिक अर्थ होता है. टांग अड़ाने की बात यानी जो भी विकास में बाधा बन रहे हैं, टांग तोड़ने का मतलब ताकतों को रोकना है. बंधु तिर्की की बात भी इसी अर्थ में है

  • क्षेत्र की जनता ने काफी अनुभवी बनाया. आजादी के बाद गढ़वा में जो काम नहीं हुआ था, वह तीन साल में हुआ है.

  • मुख्यमंत्री को इडी का समन मिलने पर स्वत: कार्यकर्ता पहुंचे थे. बाद में मुख्यमंत्री ने उन्हें समझा कर घर भेजा.

  • मुख्यमंत्री को 12 घंटे में उपस्थित होने का समय दिया जाता है. देश के इतिहास में शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ होगा.

  • इडी का समन भेज कर मुख्यमंत्री की लोकप्रियता को धक्का पहुंचाया जा रहा.

  • गुरु जी ने अपना काम किया, हेमंत जी अपने दायित्व का ईमानदारी के साथ निर्वहन कर रहे हैं.

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