विधायक सरयू राय ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाये हैं. राय ने गुरुवार को रांची में सीबीआइ के आईजी से मिलकर जेनरिक दवाओं की खरीद में राज्य में 150 से 200 करोड़ रुपये का घोटाला होने की शिकायत की है. आईजी के माध्यम से सीबीआई के निदेशक के नाम भी पत्र भेजा है.
विधायक सरयू राय ने कहा है कि सबकुछ स्वास्थ्य मंत्री के इशारे पर हुआ. कम कीमत में जिस दवा की खरीद हो सकती थी, उसे विभाग ने ऊंची कीमत पर खरीदा. नियम को ताक पर रख कर घोटाले किये गये. विधायक ने सीबीआई आईजी को बताया कि 2020 की शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग ने दवाओं की थोक खरीद के लिए खुला टेंडर निकाला था. न्यूनतम दर वाले आपूर्तिकर्ता को एग्रीमेंट कर निर्धारित दर पर दवा आपूर्ति करने को भी कहा गया. इस बीच भारत सरकार की दवा निर्माता कंपनियों ने स्वास्थ्य मंत्री को प्रभावित किया कि दवा उनसे खरीदी जाये. मंत्री ने टेंडर से निर्धारित न्यूनतम दर पर दवा की खरीद नहीं करा कर विभाग में एक संलेख तैयार कराया कि भारत सरकार की पांच दवा निर्माता कंपनियों से उनके द्वारा निर्धारित दर पर दवा खरीदी जाये.
मंत्रि परिषद से इसकी स्वीकृति प्राप्त की. इस तरह टेंडर दर से तीन-चार गुना अधिक दर पर दवा खरीद कर कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया. इससे सरकारी खजाना को 150 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा है. विधायक ने सीबीआई निदेशक को भेजे पत्र में मंत्री द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है़ श्री राय ने बताया है कि जब 2020-21 में दवाओं की खरीद के लिए खुली निविदा प्रकाशित हुई, तो केंद्र सरकार की दवा निर्माता कंपनियों ने निविदा में भाग क्यों नहीं लिया था. निविदा के आधार पर न्यूनतम दर पर दवा आपूर्ति करनेवालों को एग्रीमेंट करने का पत्र चला गया, तब दवाओं की आपूर्ति इनसे क्यों नहीं ली गयी.
सरयू राय ने कहा है कि ऐसा किसके आदेश से हुआ, इसका खुलासा होना चाहिए़़ पत्र में सरयू राय ने कहा है कि प्रासंगिक संचिका में मनोनयन से दवा खरीद के प्रस्ताव पर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सहमति दी जाने और फाइल में पक्ष पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद ही संचिका मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग में जाती है़ आम तौर पर ऐसे मामलों को मंत्रिपरिषद की स्वीकृति हेतु भेजने के पूर्व विभाग संलेख प्रपत्र पर वित्त विभाग से सहमति प्राप्त करता है जैसा कि वर्ष 2017-18 में ऐसे ही मामले में स्वास्थ्य विभाग ने वित्त विभाग से सहमति ली थी. स्वास्थ्य विभाग को बताना चाहिए कि इस मामले में वित्त विभाग की सहमति क्यों नहीं प्राप्त की गयी.
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सरयू राय ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने अपना दोष मंत्रिपरिषद के मत्थे मढ़ने के लिए अपने स्तर से ही संबंधित संचिका को मंत्रिपरिषद में भेज दिया है, इसकी भी जांच होनी चाहिए़ विधायक ने सीबीआइ को जानकारी दी है कि ऊंची दर पर दवा खरीद का षड्यंत्र केवल जेनरिक दवाओं तक ही सीमित नहीं है. इन जेनरिक दवा निर्माताओं में कर्नाटका एंटीबायोटिक लिमिडेट ने इसकी आड़ में आयुर्वेदिक दवाओं की आपूर्ति भी झारखंड सरकार को की है, जबकि उसके पास आयुर्वेदिक दवा बनाने का लाइसेंस नहीं है़ इसने मध्य प्रदेश के भोपाल की एक आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी से, जो किसी भी प्रकार इससे संबंधित नहीं है, दवाइयां खरीदी है और झारखंड सरकार को बेचा है़ श्री राय ने घोटाले से संबंधित दस्तावेज सीबीआइ को उपलब्ध कराया है. उन्होंने इसमें मंत्री की मिलीभगत व सरकारी धन की हेराफेरी में भूमिका की जांच कराने की मांग की है.