रांची: रांची में स्थित निफ्ट का मामला सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में नियम 377 के तहत उठाया और भारत सरकार से इसकी स्वायत्तता और उसकी राष्ट्रीय पहचान बचाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया. सांसद ने सदन में कहा कि राष्ट्रीय उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान, निफ्ट की स्थापना भारत सरकार के द्वारा रांची में यूनेस्को के सहयोग से 1966 में की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य मेटल मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में कुशल मैन पावर उपलब्ध कराना था. इस तरह की शैक्षणिक गतिविधियों वाला यह देश का एकमात्र संस्थान है.
देश-विदेश में बनायी है अलग पहचान
सांसद संजय सेठ ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में इस संस्थान ने देश-विदेश में विभिन्न स्तरों पर काम करके अलग पहचान बनाई है. सांसद श्री सेठ ने कहा कि देश के मेटल मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में हो रहे विस्तार के लिए इस संस्थान की संभावनाओं को देखते हुए इसे NITSER एक्ट के तहत लाने की प्रक्रिया आरंभ हुई. इसके लिए समिति का गठन हुआ. 2019-20 में NITSER एक्ट में शामिल करने की अनुशंसा भी हो गई, परंतु दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि यह कार्य नहीं हो सका.
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राष्ट्रीय स्तर पर मिले पहचान
श्री सेठ ने सदन में कहा कि राष्ट्रीय स्तर का यह संस्थान झारखंड स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ एफिलिएटेड है. इस वजह से इसके शैक्षणिक संभावनाओं और करियर संबंधी गतिविधियों को लेकर विद्यार्थी सशंकित हैं. इन्हें कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने आग्रह किया कि इस ऐतिहासिक संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाए. इसकी स्वायत्तता के लिए काम हो, ताकि प्रधानमंत्री जी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे विजन को सार्थक बनाकर उसे धरातल पर उतारा जा सके.