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National Girl Child Day 2021 : झारखंड में आज भी लैंगिक भेदभाव की शिकार हो रही हैं बेटियां, 12 फीसदी युवतियां कम उम्र में बन जाती हैं मां

National Girl Child Day 2021, Jharkhand News, रांची न्यूज : आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है. इस दिन का उद्देश्य देश की लड़कियों को हर लिहाज से अधिक से अधिक सहायता और सुविधाएं देना है. समान अधिकार देना है. लड़कियों को जिन असमानता का सामना करना पड़ता है, उनको दुनिया के सामने लाना है. इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच बराबरी का अहसास पैदा करना, लड़कियों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण समेत कई अहम विषयों पर जागरूकता पैदा करना है. आज भी समाज में लैंगिक भेदभाव बहुत बड़ी समस्या है. लड़कियों को शिक्षा, कानूनी अधिकार और सम्मान जैसे मामले में असमानता का शिकार होना पड़ता है. इससे झारखंड भी अछूता नहीं है. बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, दुष्कर्म, तस्करी बड़ी समस्या है. अब इस हालात को बदलने की जरूरत है. पढ़ें लता रानी/पूजा सिंह की रिपोर्ट

National Girl Child Day 2021, Jharkhand News, रांची न्यूज : आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है. इस दिन का उद्देश्य देश की लड़कियों को हर लिहाज से अधिक से अधिक सहायता और सुविधाएं देना है. समान अधिकार देना है. लड़कियों को जिन असमानता का सामना करना पड़ता है, उनको दुनिया के सामने लाना है. इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच बराबरी का अहसास पैदा करना, लड़कियों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण समेत कई अहम विषयों पर जागरूकता पैदा करना है. आज भी समाज में लैंगिक भेदभाव बहुत बड़ी समस्या है. लड़कियों को शिक्षा, कानूनी अधिकार और सम्मान जैसे मामले में असमानता का शिकार होना पड़ता है. इससे झारखंड भी अछूता नहीं है. बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, दुष्कर्म, तस्करी बड़ी समस्या है. अब इस हालात को बदलने की जरूरत है. पढ़ें लता रानी/पूजा सिंह की रिपोर्ट

आंकड़ों से समझिए कम उम्र में मां बनने की घटना

रांची 8.9%

सिमडेगा 5.3%

बोकारो 6.3%

खूंटी 6.4%

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सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में 12 फीसदी आंकड़े कम उम्र में मां बनने वाली युवतियों की है. एनएचएम झारखंड की डिप्टी डायरेक्टर व नोडल ऑफिसर डॉ एस लाला ने बताया कि हाल कि दिनों में जागरूकता के कारण इसमें काफी कमी आयी है. झारखंड में टीन एज प्रेगनेंसी यानी कम उम्र में गर्भधारण बड़ी समस्या है. इस मामले में झारखंड देश में पांचवें स्थान पर है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के 20 जिलों में टीन एज प्रेगनेंसी की दर राष्ट्रीय औसत (7.9%) से भी ज्यादा है. इसमें रांची भी शामिल है. विशेषज्ञों का कहना है कि टीन एज प्रेगनेंसी और बाल विवाह के कई दुष्परिणाम हैं. जैसे एक किशोरी मां अमूमन कुपोषण का शिकार हो जाती है या उसकी पढ़ाई वहीं बंद हो जाती है. आगे बढ़ने के अवसर छीन जाते हैं. इसका नकारात्मक प्रभाव उनके आर्थिक विकास पर भी पड़ता है.

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ग्रामीण इलाकों में शहरी क्षेत्र की तुलना में प्रेगनेंसी दर ज्यादा है. इसमें देवघर सबसे आगे है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार राज्य में टीन एज प्रेगनेंसी के तकरीबन 1.79 लाख मामले हो सकते हैं. इनमें 85% मामले ग्रामीण इलाकों में होने का अनुमान है. मालूम हो कि झारखंड में 15 से 19 साल की लड़कियों की कुल आबादी 14.90 लाख है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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