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सिविल सेवा परीक्षा के नये नियम पर कैबिनेट की मुहर, अब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को मिलेगी ये विशेष छूट

सिविल सेवा परीक्षा के नये नियम पर कैबिनेट की मुहर

रांची : कैबिनेट ने झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा आयोजित की जानेवाली सिविल परीक्षाओं के नये नियम को मंजूर कर लिया है. इसके साथ ही ‘झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज परीक्षा रूल्स-2021’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसमें पूर्व की परीक्षाओं के दौरान उभरे कानूनी विवाद को सुलझाने का प्रावधान किया गया है.

नये नियम में अारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की संख्या 15 गुना पूरा करने के लिए अनारक्षित वर्ग के चयनित अंतिम उम्मीदवार के अंक से अधिकतम आठ प्रतिशत तक नीचे जाने का प्रावधान किया गया है. आरक्षित वर्ग को अनारक्षित वर्ग से वापस अारक्षित वर्ग में आने की सुविधा दी गयी है.

इसकी जानकारी देते हुए कार्मिक सह कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि जेपीएससी द्वारा अब कैबिनेट द्वारा मंजूर झारखंड सिविल सर्विसेज रूल के प्रावधानों के तहत ही परीक्षाएं ली जायेंगी. इस नयी नियमावली में परीक्षार्थियों की न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष और शैक्षणिक योग्यता स्नातक निर्धारित की गयी है. नयी नियमावली में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की संख्या 15 गुना करने का प्रावधान किया गया है.

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सामान्य प्रक्रिया के तहत अगर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की संख्या 15 गुना नहीं हो, तो अनारक्षित वर्ग के चयनित अंतिम उम्मीदवार को मिले अंक से आठ प्रतिशत तक घटाकर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की संख्या 15 गुना कर दी जायेगी. किसी भी स्थिति में यह स्थिति में यह आठ प्रतिशत से कम नहीं किया जा सकता है.

श्री सिंह ने बताया कि सर्विस आवंटन में उभरे विवाद को सुलझाने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि साक्षात्कार के बाद तैयार अंतिम परिणाम में अनारक्षित वर्ग के लिए एक कट आफ मार्क्स निर्धारित किया जायेगा. अगर एसटी, एससी, ओबीसी वर्ग का कोई उम्मीदवार अनारक्षित वर्ग के बराबर नंबर लाता है, तो वह अनारक्षित वर्ग में चला जायेगा. लेकिन, अनारक्षित वर्ग में जाने के बाद अगर उसे मनपसंद सेवा नहीं मिलती है, तो वह फिर से अारक्षित वर्ग में जा सकेगा.

मुख्य परीक्षा के बाद साक्षात्कार के लिए ढाई गुना उम्मीदवारों को अामंत्रित किया जायेगा. भाषा की परीक्षा में मिले अंक को मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जायेगा. डीवीसी बिजली मामले में त्रिपक्षीय समझौते से राज्य सरकार बाहर: कैबिनेट ने डीवीसी के बकाये भुगतान के मामले में किये गये त्रिपक्षीय समझौते से बाहर जाने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है.

ऊर्जा विभाग की ओर से इस सिलसिले में पेश किये गये प्रस्ताव में कहा गया था कि त्रिपक्षीय समझौते के तहत किया गया प्रावधान नियमानुकूल नहीं है. राज्य सरकार के रिजर्व बैंक के खाते में वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि भी जमा रहती है. संवैधानिक प्रावधानों के तहत यह राशि राज्य की जनता को उपलब्ध करायी जानेवाली सुविधाओं के लिए मिलती है.

बिजली बकाये में सरकार के आरबीअाइ में स्थित खाते से कटौती कर लिये जाने से वित्त आयोग सहित अनुदान में मिलनेवाली अन्य राशि की कटौती भी हो जाती है. इस समझौते में यह भी पाया गया है कि यह एकतरफा है.

इसलिए राज्य हित में इस त्रिपक्षीय समझौते से राज्य सरकार ने बाहर निकलने का फैसला किया है. ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने कहा है कि जो हम बिजली खरीदेंगे उसका भुगतान करेंगे. बिजली खरीद की दूसरी प्रक्रियाएं भी हैं, जहां से राज्य सरकार आवश्यकता पड़ने पर बिजली खरीदती है. सरकार बिजली खरीद के लिए दूसरे मेकानिज्म का इस्तेमाल करेगी.

डीवीसी और केंद्र के साथ त्रिपक्षीय समझौता निरस्त : हेमंत सोरेन

प्रोजेक्ट भवन में बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि सरकार ने डीवीसी और केंद्र सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता निरस्त कर दिया है. साथ ही वर्ष 1951 के बाद पहली बार जेपीएससी में नयी नियुक्ति नियमावली बनी है.

गहन चिंतन के बाद नये नियम बनाये गये हैं. अब जेपीएससी में नियमित रूप से बहाली की प्रक्रिया होगी. सीएम ने कहा : पूर्व में कुछ ऐसे ऐसे कागजात बने, जिसका खामियाजा आज राज्य और राज्यवासियों को भुगतान पड़ रहा है. केंद्र सरकार द्वारा आरबीआइ में हमारे खाते से सीधे पैसे काटे जा रहे हैं. इसलिए हमने पूर्व में बने दस्तावेज को निरस्त करने का निर्णय लिया है.

Posted By : Sameer Oraon

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