रांची : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने झारखंड के प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के लिए वसूली से प्राप्त धन को संदिग्ध कंपनियों के जरिये कथित तौर पर वैध बनाने की कोशिश करने को लेकर एक फरार नक्सली की दो पत्नियों सहित पांच लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
एनआइए ने कहा कि यह मामला चलन से बाहर किये जा चुके 25.38 लाख रुपये के नोटों को जब्त किये जाने से संबद्ध है. ये नोट पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के स्वयंभू प्रमुख दिनेश गोप के थे. एनआइए के अधिकारी ने बताया कि ये नोट उस वक्त जब्त किये गये जब वे नोटबंदी के बाद अपने साथियों के साथ इसे 10 नवंबर, 2016 को रांची के एक बैंक में जमा करने जा रहे थे. झारखंड नक्सली संगठन से जुड़ी हर Hindi News से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
एनआइए के प्रवक्ता ने बताया कि शकुंतला कुमारी, हीदारी देवी, जयप्रकाश सिंह भुइयां, अमित कुमार और फुलेश्वर गोप के साथ तीन कंपनियों को आरोपपत्र में आइपीसी और गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम तथा आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत नामजद किया गया है. उन्होंने बताया कि आरोपपत्र रांची की विशेष एनआइए अदालत में दाखिल किया गया है.
प्रवक्ता ने बताया कि कुमारी और देवी, पीएलएफआइ के दिनेश गोप की पत्नियां हैं. अधिकारी ने बताया कि राज्य पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया था और नौ जनवरी, 2017 को एक आरोपपत्र दाखिल किया था. 18 जनवरी, 2018 को एनआइए ने मामले की जांच अपने हाथों में ले ली तथा छह और लोगों को गिरफ्तार किया. विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गये और 90 लाख रुपये की संपत्ति तथा अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किये गये.
प्रवक्ता ने बताया कि मामले में पहला पूरक आरोपपत्र पिछले साल 21 अक्टूबर को दाखिल किया गया था. यह गिरफ्तार किये गये 10 लोगों और फरार आरोपी दिनेश गोप के खिलाफ था. आगे चलकर 30 जनवरी, 2019 को कुमारी और देवी को गिरफ्तार किया गया. दिनेश के सहयोगी भुइयां और कुमार को दो मार्च, 2019 को तथा फुलेश्वर को 13 जुलाई, 2020 को गिरफ्तार किया गया.
अधिकारी ने बताया कि कुमारी ने सुमंत कुमार के साथ साझेदारी में तीन संदिग्ध कंपनियां बनायी. कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. साथ ही अपने नाम पर एक अपंजीकृत कंपनी बनायी. इससे अलग, हीरा ने भी फुलेश्वर के साथ साझेदारी में एक संदिग्ध कंपनी बनायी. उन्होंने बताया कि ये कंपनियां वसूली में प्राप्त की गयी लेवी की रकम को वैध बनाने के इरादे से बनायी गयी थीं. मामले की जांच जारी है.
Posted By : Mithilesh Jha