Jharkhand News, Ranchi News, रांची : झारखंड के ग्रामीण बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए रात्रि पाठशाला का संचालन हो रहा है. वर्ष 2014 में रांची के उसरी गांव से शुरू हुआ अभियान राज्य के 3 जिलों में फैल गया है. रांची के अलावा गुमला और लाेहरदगा जिले में 26 रात्रि पाठशाला संचालित हो रही है. इसमें 2000 से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं. रात्रि पाठशाला संचालित करने का श्रेय पूर्व आईपीएस अधिकारी अरुण उरांव और गांव के एक युवा अनिल उरांव को जाता है.
रांची के उचरी गांव से शुरू होने के बाद बाबा कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला का विस्तार हुआ. आज राज्य के 3 जिले रांची, गुमला और लोहरदगा में 26 रात्रि पाठशाला चल रही है. इसमें 2000 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. इन 26 रात्रि पाठशाला में 150 शिक्षक नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं. नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को यहां पढ़ाया जाता है.
खुशबू कुमारी राजकीयकृत मध्य विद्यालय उचरी में पढ़ती है. वह बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहती है. इसी तरह और भी बच्चे हैं जो बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर और टीचर बनने का सपना देख रहे हैं. झारखंड के सुदूर गांव के बच्चे अगर आज डॉक्टर, इंजीनियर और टीचर बनने के सपने देख रहे हैं, तो इसमें गांवों में संचालित हो रही रात्रि पाठशाला का अहम योगदान है. गांव के बच्चों का जुड़ाव अधिक से अधिक शिक्षा से हो और उनमें पढ़ने की आदत का विकास हो, इस उद्देश्य से रांची के उचरी गांव में रात्रि पाठशाला की बुनियाद रखी गयी थी.
Also Read: Republic Day 2021 : रांची के मोरहाबादी में गवर्नर द्रौपदी मुर्मू और दुमका में CM हेमंत सोरेन करेंगे झंडोत्तोलन, तैयारी पूरी
पूर्व आइपीएस अधिकारी सह समाजसेवी अरुण उरांव जब पंजाब से रिटायर होकर वापस आये, तो उन्होंने सोचा कि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए अलग से कुछ प्रयास करना चाहिए. इस मकसद से उन्होंने साल 2014 में उचरी गांव में रात्रि पाठशाला की शुरुआत की. गांव के युवक अनिल उरांव से उन्हें काफी सहयोग मिला. अनिल उरांव पहले अरुण उरांव के पास ही पढ़ाई किया करते थे. गांव में रात्रि पाठशाला खोलने का मकसद था गांव के बच्चों में पढ़ने की आदत का विकास हो और वो पढ़ाई में बेहतर कर सकें. शुरुआत में काफी परेशानी हुई क्योंकि बच्चे आना नहीं चाहते थे और माता-पिता भी अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते थे.
अनिल बताते हैं कि गांव में ऐसा होता था कि बच्चे स्कूल से आने के बाद दूसरे दिन ही स्कूल जाकर अपनी किताब खोलते थे. पर, धीरे-धीरे बच्चे आने लगे. माता-पिता भी जागरूक हुए. अब बच्चों की आदत बदल गयी है. अब शाम पांच बजे तक बच्चे रात्रि पाठशाला में आ जाते हैं. तीन बच्चों से की गयी शुरुआत आज 175 बच्चों तक पहुंच गयी है.
रात्रि पाठशाला के बच्चों के लिए खेलकूद के साथ- साथ विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. इससे बच्चों की प्रतियोगी क्षमता का विकास होता है. बच्चों में खेलकूद की प्रतिभा विकसित करने के लिए फुटबॉल मैच का भी आयोजन किया जाता है. सामान्य ज्ञान से सवाल पूछे जाते हैं. बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया जाता है.
Also Read: Republic Day 2021 : झारखंड के पंचायतों में कार्यकारी समिति प्रमुख नहीं कर पायेंगे झंडोत्तोलन, जारी हुआ आदेश
रात्रि पाठशाला में एक छोटी सी लाइब्रेरी भी है. जहां पर बच्चे आकर पढ़ाई करते हैं. अनिल उरांव ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि अगर कोई इस लाइब्रेरी के लिए पुस्तकें देना चाहते हैं, तो वो यहां पर दे सकते हैं. बाल संसद भवन में संचालित हो रहे इस लाइब्रेरी में बच्चों को नि:शुल्क कंप्यूटर शिक्षा भी दी जाती है. इस स्कूल से पढ़कर यहां के तीन बच्चे सरकारी नौकरी में हैं. रात्रि पाठशाला पूरी तरह स्कूल की तर्ज पर काम करती है. महीने में एक बार पैरेंट्स-टीचर मीटिंग भी होती है. अटेंडेंस भी लिया जाता है. परीक्षा भी ली जाती है. इसके अलावा बच्चों को योग भी सिखाया जाता है. रात में बिजली चली जाने पर इमरजेंसी लाइट की व्यवस्था की गयी है.
रिटायर्ड आईपीएस और समाजसेवी अरुण उरांव ने बताया कि जब वो पंजाब से रिटायर होकर वापस रांची आये, तो उन्होंने देखा कि यहां ग्रामीण परिवेश में रहने वाले अधिकतर बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. पढ़ाई का स्तर बेहद निम्न है. इस कमी को दूर करने के लिए उन्होंने उचरी गांव से रात्रि पाठशाला की शुरुआत की. गांव के पढ़े- लिखे युवक- युवतियों ने बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया, जिससे आज यह काफी आगे बढ़ गया है. लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद हुए, इस समय रात्रि पाठशाला से बच्चों को पढ़ने में काफी मदद मिली.
Posted By : Samir Ranjan.