Nirmal Mahato Birth Anniversary: झारखंड राज्य के गठन के लिए सैकड़ों लोगों ने कुर्बानियां दीं. कई बड़े नेता हुए, जिन्होंने अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को धार दी. ऐसे ही नेताओं में एक थे- निर्मल महतो. निर्मल महतो (Nirmal Mahato) अब इस दुनिया में नहीं हैं. महज 37 साल के थे, जब जमशेदपुर शहर में निर्मल महतो की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. इतनी छोटी उम्र में निर्मल महतो ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा लिया था.
निर्मल महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) के जांबाज सिपाही थे. अपनी नेतृत्व क्षमता का भी उन्होंने लोहा मनवाया था. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में शामिल होने के महज 4 साल के अंदर ही वह इस पार्टी के अध्यक्ष बन गये. निर्मल दा की नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि झामुमो में उन्होंने विनोद बिहारी महतो की जगह ली थी.
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जी हां, महज चार साल में उन्होंने एक साधारण झामुमो कार्यकर्ता से पार्टी अध्यक्ष तक का सफर तय किया था. 25 दिसंबर 1950 को पूर्वी सिंहभूम जिला के उलियान गांव में जन्मे निर्मल महतो के पिता का नाम जगबंधु महतो था. उनकी माता का नाम प्रिया बाला था.
बेहद सामान्य परिवार में जन्मे इस असामान्य बालक ने जमशेदपुर वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल (Jamshedpur Workers Union High School) से मैट्रिक तक की पढ़ाई की. इसके बाद जमशेदपुर के ही को-ऑपरेटिव कॉलेज से स्नातक (Co-Operative College Jamshedpur) की शिक्षा हासिल की. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इसलिए उन्हें अपनी पढ़ाई का खर्च चलाने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना पड़ता था.
पढ़ाई पूरी करने के बाद पूर्वी सिंहभूम (East Singhbhum) के तब के बड़े नेता शैलेंद्र महतो (Shailendra Mahato) के कहने पर 15 दिसंबर 1980 को निर्मल महतो ने झामुमो की सदस्यता ले ली. पार्टी में शामिल होने के महज चार साल के भीतर उन्हें पार्टी का शीर्ष पद मिल गया. परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि तब के कद्दावर नेता विनोद बिहारी महतो (Binod Bihari Mahato) की जगह किसी और को झामुमो का अध्यक्ष (JMM President) चुने जाने की नौबत आ गयी.
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उस वक्त पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन (Shibu Soren) को निर्मल महतो में झामुमो का अध्यक्ष दिखा. निर्मल दा को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. झामुमो अध्यक्ष का पद संभालने के बाद निर्मल दा ने छात्र संघ की परिकल्पना की. फुलटाइम राजनीति करने वाले निर्मल महतो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. नशाबंदी के लिए लोगों को प्रेरित करते थे. शराब बनाने वालों के खिलाफ लगातार अभियान चलाते थे.
राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल महतो 8 अगस्त 1987 को लौहनगरी जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के बाहर निकल रहे थे. उनके साथ सूरज मंडल और झामुमो के अन्य नेता भी थे. इसी वक्त पहले से घात लगाकर बैठे कुछ लोगों ने निर्मल महतो पर गोलियां बरसा दीं. तीन गोलियां निर्मल महतो को लगीं. घटनास्थल पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया.