रांची : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने रांची में कहा कि इन दिनों न्यायाधीशों पर शारीरिक हमले बढ़े हैं. बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के न्यायाधीशों को उसी समाज में रहना होगा, जिस समाज में उन्होंने लोगों को दोषी ठहराया है. साथ ही साथ उन्होंने मीडिया पर भी तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि मीडिया द्वारा गलत सूचना और एजेंडा चलाना लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. आपको बता दें कि वे यहां जस्टिस एसबी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे.
सीजेआई ने कहा कि कई मौकों पर मैंने लंबित रहने वाले मुद्दों को उठाया है. मैं जजों को उनकी क्षमता से काम करने और सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता की पुरजोर वकालत करता रहा हूं.
उन्होंने जस्टिस एस बी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक लोकतंत्र में न्यायाधीश को केवल कानून बनाने वाला व्यक्ति कह कर परिभाषित नहीं किया जा सकता है. लोकतांत्रिक जीवन में न्यायाधीश का स्थान विशिष्ट होता है. वह समाज की वास्तविकता और कानून के बीच की खाई को पाटता है, वह संविधान की लिपि और मूल्यों की रक्षा करता है.
उन्होंने देश में मीडिया के हालात पर भी बेहद तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन करता है, जिससे हमारा लोकतंत्र दो कदम पीछे जा रहा है. प्रिंट मीडिया तो कुछ हद तक जवाबदेह भी है. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जवाबदेही शून्य हो चुकी है. न्याय देने संबंधी मुद्दों पर गलत जानकारी वाली और एजेंडा से प्रेरित डिबेट चलाई जाती हैं, जो लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं.” उन्होंने कहा, कई न्यायिक मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाना लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रहा है