रांची, उत्तम महतो:
रांची शहर में लगभग तीन हजार अपार्टमेंट हैं. इनमें से मात्र 103 बहुमंजिली इमारतें ही ऐसी हैं, जिन्होंने रांची नगर निगम से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लिया है. अर्थात इनके निर्माण में नगर निगम द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन किया गया है. वहीं दूसरी ओर अन्य अपार्टमेंट का निर्माण बिल्डर अपने हिसाब से कर फ्लैट बेच रहे हैं और यह सिलसिला वर्षों से जारी है.
आम तौर पर बहुमंजिली इमारत का नक्शा निगम से पास होने के बाद बिल्डर इसका निर्माण कार्य शुरू कर देता है. भवन बन जाने पर बिल्डर निगम में कंप्लीशन सर्टिफिकेट जमा करता है. कंप्लीशन सर्टिफिकेट जमा कर बिल्डर यह बताता है कि उसने भवन का निर्माण नक्शे के अनुरूप किया है. ऐसे में निगम भवन की जांच कर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करे.
इसके बाद निगम की टीम संबंधित भवन की जांच करती है. इसमें यह देखा जाता है कि भवन के निर्माण में बिल्डर द्वारा निर्माण कार्य में किसी प्रकार का उल्लंघन तो नहीं किया गया है. अगर निर्माण कार्य पूरी तरह से नियमों के अनुरूप पाया जाता है, तो निगम ऐसे भवनों को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी कर देता है.
अन्य राज्यों में बिना ऑक्यूपेंसी के नहीं होती है फ्लैट की रजिस्ट्री, लेकिन झारखंड में सब कुछ चलता है : देश के सभी राज्यों में सरकार की ओर से यह नियम बनाया गया है कि कोई भी बिल्डर फ्लैट की खरीद-बिक्री तभी कर सकता है, जब उसने संबंधित नगर निकाय से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट ले लिया हो. लेकिन झारखंड में हालत यह है कि नक्शा पास होने के बाद निगम के अभियंता संबंधित भवन में झांकने भी नहीं जाते हैं कि बिल्डर ने भवन का निर्माण नक्शे के अनुरूप किया है या नहीं.
लोग अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई को खर्च कर फ्लैट खरीदते हैं. ऐसे में हम लोगों से अपील करते हैं कि वे फ्लैट खरीदते समय बिल्डर से हर हाल में ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट की मांग करें. जिस अपार्टमेंट का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलेगा, वहां ही फ्लैट की खरीदारी करें. तभी वे किसी प्रकार की गड़बड़ी से बच सकते हैं.
कुंवर सिंह पाहन, अपर नगर आयुक्त