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रांची के टाटा कैंसर अस्पताल में OPD शुरू, जल्द मिलेंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

कांके के सुकुरहुट्टू में साढ़े तीन साल में ही टाटा कंपनी का कैंसर अस्पताल (Tata Cancer Hospital) शुरू हो गया है. यहां ओपीडी (OPD) में मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया है. विधिवत उद्घाटन होने के साथ ही यहां मरीजों को भर्ती होने की सुविधा भी मिल जायेगी.

Ranchi News: राज्य के कैंसर रोगियों को बेहतर इलाज देने के लिए रिम्स में कैंसर सुपरस्पेशियलिटी विंग की स्थापना वर्ष 2014 में हुई थी. रेडियोथेरेपी पद्धति से शुरुआत में कैंसर मरीजों का इलाज हुआ. फिर वर्ष 2019 में मेडिकल ऑन्कोलॉजी और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की स्थापना की गयी. हालांकि कुछ दिनों तक ही मेडिकल ऑन्कोलॉजी का लाभ कैंसर मरीजों को मिल पाया. फिलहाल दो साल से इस विभाग में डॉक्टर ही नहीं हैं. इस कारण मरीजों को चिकित्सीय परामर्श नहीं मिल पाता है. मरीजों को विवश होकर अन्य अस्पताल रेफर करना पड़ता है.

कैंसर अस्पताल का ओपीडी शुरू

राजधानी रांची में टाटा कंपनी के कैंसर अस्पताल (रांची कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर) का ओपीडी शुरू हो गया है. एक माह में करीब 200 मरीजों ने लाभ उठाया है. टाटा ने कांके के सुकुरहुट्टू में कैंसर अस्पताल का निर्माण कराया है. इसका शिलान्यास 10 नवंबर 2018 को हुआ था. इसके पहले चरण का काम शुरू हो गया है. मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया है. अभी मरीजों को भर्ती करने की सुविधा नहीं शुरू हो पायी है. इसके लिए राज्य सरकार ने टाटा कंपनी को रिनपास की जमीन दी थी.

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ओपीडी सुविधा लेने के लिए 135 रुपये का रसीद

अभी मरीजों को कैंसर इलाज की ओपीडी सुविधा लेने के लिए 135 रुपये का रसीद कट रहा है. यहां 80 बेड पर मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है और यह भी बनकर पूरी तरह तैयार है. जल्द ही इसे शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और टाटा के चेयरमैन रतन टाटा ने किया था.

82 बेड की होगी सुविधा

यह राज्य सरकार और टाटा ट्रस्ट का सामूहिक उपक्रम का अस्पताल है. अभी 82 बेड की सुविधा शुरू की जायेगी. इस अस्पताल में 50 प्रतिशत बेड राज्य के लोगों के लिए आरक्षित होंगे. इसमें 14 ऑपरेशन थिएटर, 28 बेड का आइसीयू और ब्लड बैंक भी होंगे. 400 करोड़ की लागत से 23.5 एकड़ में अस्पताल बन रहा है. राज्य सरकार ने यह जमीन दी है. दूसरे चरण में यहां मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड के साथ डाक्टर व कर्मियों के रहने के लिए आवासीय परिसर का निर्माण होगा. धर्मशाला भी बनेगा.

100 में एक्स-रे की सुविधा

टाटा कंपनी ने राज्य सरकार से समझौता किया है कि यहां मरीजों को भारत सरकार द्वारा तय सीजीएचएस दर पर इलाज की सुविधा मिलेगी. अभी मरीजों को रेडियोथेरेपी, एमआरआइ, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन जांच की सुविधा दी जा रही है. 100 रुपये में एक्स-रे किया जा रहा है. अल्ट्रासाउंड मात्र 500 रुपये में किया जा रहा है. जब अस्पताल पूर्ण रूप से चालू हो जायेगा, तो जन आरोग्य सुविधा, हेल्थ इंश्योरेंस, इएसआइ, सीएम गंभीर बीमारी इलाज योजना के साथ अन्य सुविधाएं भी शुरू हो जायेंगी. इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती हो गयी है. मरीजों के इलाज की मशीन अत्याधुनिक है. इस तरह की मशीन आसपास के राज्यों में नहीं है.

चिकित्सीय परामर्श नहीं ले पाते हैं मरीज

रिम्स में कैंसर मरीजों को दवा के परामर्श के लिए सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है. कभी कैंसर सर्जन तो कभी रेडियोथेरेपिस्ट मरीजों को दवा का परामर्श दे देते हैं. नतीजा यह होता है कि कैंसर मरीजों को चक्कर लगाना पड़ता है. रिम्स लगातार मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट की नियुक्ति के लिए आवेदन निकाल रहा है, लेकिन, विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं.

आठ बेड का डे-केयर सिर्फ नाम का ही

कैंसर मरीजों के इलाज की सुविधा के लिए आठ बेड का डे-केयर तैयार किया गया है. मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं होने से इसका फायदा मरीजों को नहीं मिलता है. इक्का-दुक्का मरीजों का इलाज ही हो पाता है. कैंसर की सर्जरी के लिए दो सर्जन डॉ रोहित झा और डॉ अजीत कुशवाहा नियुक्त हैं. दो सर्जन मिलकर एक हफ्ते में 10 से 12 सर्जरी ही करते हैं. सर्जन की संख्या को बढ़ाने के साथ नर्सिंग और पारा मेडिकल कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि मरीजों की देखभाल के लिए नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ की सबसे ज्यादा जरूरत है.

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