Jharkhand Panchayat Chunav, Ranchi: झारखंड में पंचायत चुनाव की घोषणा अगले महीने कर दी जायेगी और चुनाव मार्च में करा लिये जाने की संभावना है. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि चुनाव को लेकर होनेवाली आवश्यक प्रक्रियाएं तय हो गयी हैं. यह लक्ष्य रखा गया है कि मार्च तक चुनाव करा लिया जाये. इस दिशा में तेजी से कार्रवाई की जा रही है. मंत्री ने कहा कि पहले कोविड-19 के कारण पंचायत चुनाव नहीं कराया जा सका.
प्रक्रियाओं को पूरी करने में जुटी है सरकार : जानकारी के अनुसार, यहां 15 फरवरी के बाद कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है. इसके लिए सारी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं. अभी फिलहाल मतदाता सूची फाइनल नहीं हुई है. सूची की छंटनी कर निर्वाचन आयोग को दिया जायेगा. फिर आयोग से इसे जिलों में भेजा जायेगा. डीसी वार्ड वार इसकी छंटनी करायेंगे, फिर इसे प्रकाशित कराया जायेगा.
अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सारे कार्यों को करने में 10 फरवरी पहुंच जायेगा. इसके बाद ही चुनाव की घोषणा हो सकेगी. इस तरह 15 फरवरी तक चुनाव की घोषणा हो सकेगी और फिर मार्च में चुनाव करा लिया जायेगा. राज्य में पंचायत चुनाव दिसंबर 2021 में ही होना था, पर कोरोना को लेकर नहीं कराया जा सका. ऐसे में एक्सटेंशन देकर पंचायती राज व्यवस्था चलायी जा रही है.
चुनाव को लेकर आवश्यक प्रक्रिया हुई तय
मतदाता सूची फाइनल नहीं, छंटनी के बाद सूची निर्वाचन आयोग भेजी जायेगी
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि पेसा कानून के सभी प्रावधान पंचायती राज अधिनियम में क्यों नहीं शामिल किये गये. झारखंड हाइकोर्ट ने शनिवार को शिड्यूल एरिया में लागू पंचायती राज अधिनियम को चुनौती देनेवाली जनहित याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की लंबी सुनवाई के बाद राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया.
अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने चार फरवरी की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से झारखंड हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए बताया गया कि पंचायती राज अधिनियम संवैधानिक है और प्रार्थियों की दलील सही नहीं है. वहीं, प्रार्थियों की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि संविधान के प्रावधान के तहत शिड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम लागू नहीं हो सकता है. यहां पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया है, जो संवैधानिक रूप से सही नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पैरवी की.
ज्ञात हो कि प्रार्थी ईमिल वाल्टर कंडुलना व आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से पीआइएल दायर की गयी है. प्रार्थियों ने शिड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम लागू करने को चुनौती दी है.
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Posted by: Pritish Sahay