प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने राज्य सरकार से पंकज मिश्रा को 24 घंटे में क्लीनचिट देनेवाले डीएसपी प्रमोद मिश्रा की संपत्ति का ब्योरा मांगा है. इस सिलसिले में इडी की ओर से आइजी एचआर को पत्र लिखा गया है. इसके लिए दारोगा राम हरिश निराला व उनके रिश्तेदार अंकुश राजहंस के बीच हुई बातचीत के वायरल वीडियो को आधार बनाया गया है. वीडियो में निराला द्वारा यह दावा किया गया कि पंकज मिश्रा के लिए प्रमोद मिश्रा ट्रकों से वसूली करते थे.
उल्लेखनीय है कि प्रमोद मिश्रा को बार बार समन किये जाने के बावजूद वह पूछताछ के लिए इडी कार्यालय में हाजिर नहीं हो रहे हैं. वहीं इडी को साहिबगंज में अवैध खनन की जांच के दौरान एक वायरल वीडियो मिला था. इस वीडियो में कोटाल पोखर के तत्कालीन थाना प्रभारी निराला और उनके रिश्तेदार अंकुश राजहंस के बीच हुई बातचीत का हिस्सा है.
बातचीत के दौरान निराला उनसे कोटाल पोखर थाना से हटाये जाने के कारणों पर भी चर्चा कर रहे हैं. इडी ने इस वायरल वीडियो को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा है. लैब की रिपोर्ट भी शीघ्र मिलने की उम्मीद है. वीडियो मिलने के बाद इडी ने पूछताछ के लिए निराला और अंकुश को समन किया था.
पूछताछ के दौरान दोनों ही वीडियो में अपनी आवाज होने की बात स्वीकार कर चुके हैं. पूछताछ के दौरान निराला ने कोटाल पोखर थाना से हटाये जाने का कारणों की जानकारी इडी को दी थी. उन्होंने इडी को दिये गये बयान में कहा था कि थाना क्षेत्र के इकबाल शेख द्वारा पत्थर का खनन किया जा रहा था. जिस जमीन पर खनन का काम हो रहा था, उस पर स्थानीय ग्रामीणों का दावा था. ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर अनुमंडल पदाधिकारी से धारा 144 लगाने की अनुशंसा की गयी थी.
इससे पंकज मिश्रा नाराज थे. पंकज मिश्रा बार बार इकबाल शेख की मदद करने के लिए दबाव दे रहे थे. उनकी बात नहीं मानने पर थाने से हटा कर लाइन हाजिर कर दिया गया था. निराला ने अपने बयान में यह भी कहा था कि डीएसपी प्रमोद मिश्रा, विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के इशारों पर काम करते थे.
प्रमोद मिश्रा अवैध खनन रोकने के बदले अवैध पत्थरों की ढुलाई करनेवाले ट्रकों की जानकारी पंकज मिश्रा को देते थे. कोटाल पोखर में पदस्थापन के दौरान पंकज मिश्रा और प्रमोद मिश्रा ने बंगाल जानेवाले ट्रकों की गिनती करायी थी. ट्रकों की संख्या करीब 400 थी. दोनों इन ट्रकों की वसूली में हिस्सा चाहते थे. उल्लेखनीय है कि शंभु नंदन मामले की सुनवाई के दौरान इडी द्वारा इस मामले की जानकारी शपथ पत्र दायर कर हाइकोर्ट में दी गयी थी.