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बच्चे को अच्छे कोचिंग सेंटर में खेल का प्रशिक्षण दिला रहे हैं अभिभावक, कहा- खेलेंगे, तभी तो फिट रहेंगे

अभिभावक बच्चों को रोजाना दो से तीन घंटे प्रैक्टिस के लिए कोचिंग सेंटर लेकर जाते हैं. इतना ही नहीं, टूर्नामेंट के लिए दूसरे राज्य भी लेकर जाते हैं. अभिभावकों का कहना है कि जब तक बच्चे खेलेंगे नहीं, तो वे फिट कैसे रहेंगे.

रांची, पूजा सिंह : खेल के प्रति लोगों की सोच अब बदलती जा रही है. यही वजह है कि पढ़ाई के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी लोग अपने बच्चों को आगे बढ़ा रहे हैं. तीन साल की छोटी उम्र में ही लोग अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे कोचिंग में विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण दिला रहे हैं. अभिभावक बच्चों को रोजाना दो से तीन घंटे प्रैक्टिस के लिए कोचिंग सेंटर लेकर जाते हैं. इतना ही नहीं, टूर्नामेंट के लिए दूसरे राज्य भी लेकर जाते हैं. अभिभावकों का कहना है कि जब तक बच्चे खेलेंगे नहीं, तो वे फिट कैसे रहेंगे. खेल से शारीरिक व मानसिक दोनों विकास होता है. इसलिए खेल जरूरी है.

पोते को रोजाना टेबल टेनिस की प्रैक्टिस कराते हैं आशीष बनर्जी

कोकर के आशीष कुमार बनर्जी (65 वर्ष) ने टेबल टेनिस खेलते हुए रेलवे में नौकरी की और 2018 में रिटायर हुए. अब अपने 12 वर्षीय पोते आयुष को खेल के प्रति जागरूक कर रहे हैं. इसके लिए प्रतिदिन शाम को दो से तीन घंटे यूनियन क्लब में आयुष को प्रैक्टिस करा रहे हैं. पोते को पिछले तीन साल से टेबल टेनिस सीखा रहे हैं. टूर्नामेंट के लिए टाटा, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा सहित कई जगहों पर लेकर भी जाते हैं. आयुष टेबल टेनिस में झारखंड में चौथे स्थान पर है. उन्होंने कहा कि खेल से मानसिक व शारीरिक विकास होता है. इसलिए बच्चों का खेलना जरूरी है. इसके लिए हर अभिभावक को समय निकालना चाहिए.

क्रिकेट का प्रशिक्षण दिलाने रोज लाती हैं ऑक्सीजन पार्क

अलका बर्मन मोरहाबादी के अंतु चौक के समीप रहती हैं. वह प्रतिदिन शाम को अपने बेटे को स्कूटी से लेकर क्रिकेट का प्रशिक्षण दिलाने ऑक्सीजन पार्क जाती हैं. उन्होंने बताया कि इसके दादा क्रिकेट के बहुत शौकीन हैं. बेटा भी क्रिकेट खेलना चाहता था. इसलिए समय निकाल कर प्रतिदिन मोरहाबादी लेकर आते हैं. यहां बेटे का खेल भी देखते हैं. वहीं, सुबह में बेटा अपने पापा के साथ सुबह पांच बजे से आकर प्रैक्टिस करता है. बच्चे की जिज्ञासा और उसे फिट रखने के लिए थोड़ा समय हर अभिभावक को निकालना चाहिए.

आफताब दोनों बेटों को दिला रहे टेबल टेनिस का प्रशिक्षण

कांटाटोली के अाफताब आलम खान अपने दोनों बेटों को टेबल टेनिस का प्रशिक्षण दिला रहे हैं. प्रतिदिन वाइएमसीए में ट्रेनिंग दिलाने के साथ-साथ टूर्नामेंट के लिए पटना, केरल सहित राज्य के विभिन्न शहरों में लेकर जाते हैं. उन्होंने बताया कि खेल से बच्चों की इम्युनिटी बढ़ती है. शारीरिक व मानसिक विकास होता है. इसलिए बच्चों को प्रतिदिन दो से तीन घंटे तक प्रैक्टिस कराते हैं. बेटा अंडर-11 में स्टेट चैंपियन भी रह चुका है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी आगे बढ़ाना चाहिए.

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बेटी को दिला रहे हैं कराटे का प्रशिक्षण

हटिया के अनूप कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी पूनम मिश्रा बेटी आयुषी को कराटे का प्रशिक्षण दिला रहे हैं. इसके लिए पूनम हटिया से डोरंडा प्रैक्टिस के लिए बेटी को लेकर आती है. अनूप ने बताया कि साढ़े तीन साल की उम्र से बेटी कराटे सीख रही है. दूसरे राज्यों में आयोजित कराटे प्रतियोगिता के लिए भी बेटी को लेकर जाना पड़ता है. वहीं, प्रतिदिन प्रैक्टिस कराने के लिए पत्नी पूनम लेकर जाती है. हमारी कोशिश है कि बेटी कराटे के माध्यम से खुद को फिट रखने के साथ देश का नाम रोशन कर सके. वर्तमान में वह नेशनल कराटे में गोल्ड व सिल्वर मेडल तक जीत चुकी है.

इन जगहों पर दिया जाता है प्रशिक्षण

  • क्रिकेट : हरमू, मोरहाबादी, धुर्वा, अरगोड़ा सहित कई जगहों पर क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जाती है. राजधानी में दर्जन से अधिक छोटे-बड़े ट्रेनिंग सेंटर हैं.

  • टेबल टेनिस : यूनियन क्लब, वाइएमसीए व एजी रिक्रिएशन क्लब में प्रशिक्षण दिया जाता है.

  • कराटे : डोरंडा काॅलेज, रातू रोड, पुरुलिया रोड, मोरहाबादी सहित 30 से अधिक जगहों पर प्रशिक्षण दिये जाते हैं.

  • स्वीमिंग : मोरहाबादी, खेलगांव, जेएससीए स्टेडियम सहित अन्य जगहों पर स्वीमिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है.

  • बास्केट बॉल : जैप ग्राउंड और संत जेवियर कॉलेज में इसकी ट्रेनिंग दी जाती है.

  • स्केटिंग : स्केटिंग का प्रशिक्षण सिर्फ खेलगांव में दिया जाता है.

  • टेनिस : खेलगांव और जेएससीए स्टेडियम में इसका प्रशिक्षण दिया जाता है.

एक्सपर्ट देते हैं प्रशिक्षण

राजधानी रांची में विभिन्न प्रकार के खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इनमें बैडमिंटन, क्रिकेट, टेबल टेनिस, कराटे, बाॅलीवॉल, फुटबॉल, स्वीमिंग, स्केटिंग, चेस, मलखंब सहित खेल शामिल हैं. इन खेलों की ट्रेनिंग एक्सपर्ट कोच के माध्यम से दी जा रही है.

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क्या कहते हैं कोच

खेल के प्रति अभिभावक अब काफी जागरूक हो गये हैं. अभिभावक बच्चों के कोचिंग सेंटर से लेकर टूर्नामेंट के लिए बाहर भी साथ जाते हैं. यह अच्छा संकेत है कि खेल के प्रति बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों की रुचि बढ़ी है.

-उमा रानी पालित, बैडमिंटन कोच

लड़कियां कराटे में काफी अच्छा कर रही हैं. अभिभावक दूर-दूर से प्रैक्टिस के लिए अपनी बेटियों को लेकर आते हैं. कई अभिभावक टूर्नामेंट के लिए दूसरे राज्यों में भी साथ जाते हैं. अभिभावक खेल के प्रति अब काफी जागरूक हो गये हैं.

-रंजीत कुमार मेहता, कराटे प्रशिक्षक

खेल से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है. पहले हम लोग घर में बिना बताये खेला करते थे, जिसके लिए डांट भी मिलती थी. लेकिन, अब अभिभावक काम छोड़ कर बच्चों को प्रैक्टिस कराने के लिए कोचिंग सेंटर लेकर आ रहे हैं. यहां घंटों बच्चों की प्रैक्टिस देखते हैं.

– मानिक घोष, क्रिकेट कोच

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