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पुश्तैनी जेवर बेचकर पूजा सिंघल ने बैंक में जमा कराये थे एक करोड़ रुपये, एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने खारिज की दलील

ईडी ने विभागीय अधिकारियों के बयान के आधार पर इसे कमीशन की राशि करार दिया. पूजा सिंघल की गिरफ्तारी का मुख्य आधार भी उनके खाते में जमा राशि बनी. पूछताछ के दौरान पूजा सिंघल अपने खाते में जमा राशि का सही ब्योरा नहीं दे सकीं.

रांची, राजेश झा. मनी लाउंड्रिंग के आरोप में फंसी पूजा सिंघल ने पुश्तैनी जेवर बेच कर अपने बैंक खाते में एक करोड़ रुपये जमा करने का दावा एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी में किया था. हालांकि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दिये गये जवाब के बाद अथॉरिटी ने पूजा सिंघल के दावे के खारिज कर दिया. साथ ही ईडी द्वारा अस्थायी तौर पर संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को सही करार दिया. ईडी ने मनरेगा घोटाले को आधार बना कर पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग की जांच शुरू की थी. इसी क्रम में ईडी को उनके बैंक खाते में भारी नकद राशि जमा होने के सबूत मिले.

ईडी ने विभागीय अधिकारियों के बयान के आधार पर इसे कमीशन की राशि करार दिया. पूजा सिंघल की गिरफ्तारी का मुख्य आधार भी उनके खाते में जमा राशि बनी. पूछताछ के दौरान पूजा सिंघल अपने खाते में जमा राशि का सही ब्योरा नहीं दे सकीं. ईडी ने जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया. इसके बाद पीएमएलए में निहित प्रावधानों के तहत अस्पताल सहित अन्य संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की गयी. निदेशालय द्वारा जारी अस्थायी जब्ती के आदेश के आलोक में संबंधित संपत्ति की खरीद बिक्री पर रोक छह महीनों तक ही प्रभावी होती है. इडी ने इस निर्धारित अवधि में ही एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी में याचिका दायर की. अथॉरिटी ने मामले की सुनवाई के दौरान अस्थायी रूप से जब्त की गयी संपत्ति से संबंधित सभी पक्षों को नोटिस जारी कर इडी द्वारा लगाये गये आरोपों पर जवाब देने का निर्देश दिया. पूजा सिंघल के मामले में कानूनी रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिंदु उनके बैक खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक नकद राशि का जमा होना ही था. पूजा सिंघल ने अपने खाते में नकद जमा राशि को कमीशन की रकम के बदले जायज तरीके से अर्जित कर खाते में जमा कराने की बात कही. इस मामले में उनकी ओर से यह दलील पेश की गयी पुश्तैनी जेवरात बेचने से उन्हें नकद राशि मिली थी. इसी राशि को बैंक खाते में जमा किया गया था.

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अथॉरिटी में इस बिंदु पर दिये गये लेखा जोखा में यह कहा गया कि उनकी मां द्वारा रखे गये पुश्तैनी जेवरात बेचने से 11.26 लाख रुपये मिले थे. अपना और अपने पारिवारिक जेवरात बेचने से 42.79 लाख रुपये नकद मिले थे. मां सहित अन्य पारिवारिक सदस्यों से गिफ़्ट के रूप में 29 लाख रुपये मिले थे. इसके अलावा बीमा पॉलिसी से 18.02 लाख रुपये मिले थे. इस तरह उन्हें अपने पारिवारिक और पुश्तैनी जेवरात बेच कर 1.01 करोड़ रुपये नकद मिले थे. इसे ही उनके बैंक खाते में नकदी के रूप में जमा किया गया था. इसी राशि को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कमीशन की राशि बतायी जा रही है, जो गलत है. खाते में नकद जमा होने की इस दलील पर इडी ने जवाब दाखिल किया.

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ईडी को ओर से यह दलील दी गयी कि पूजा सिंघल की ओर से किया गया यह दावा पूरी तरह गलत है. उन्होंने अपने दावों के पक्ष में कोई कागजी सबूत पेश नहीं किया है. इसके अलावा पारिवारिक व पुश्तैनी जेवरात बेच कर नकद मिलने का कोई ब्योरा आयकर विभाग को नहीं दिया गया है. उनके किसी भी रिटर्न में इसका उल्लेख नहीं है कि उन्होंने जेवरात बेच कर अपने खाते में नकद एक करोड़ रुपये से अधिक जमा किया है. इसके अलावा उन्होंने भारत सरकार को दी जानेवाली संपत्ति की किसी भी विवरणी में इसका उल्लेख नहीं किया है. इडी के इस जवाब को स्वीकार करते हुए अथॉरिटी ने पूजा सिंघल की दलील को अस्वीकार कर दिया.

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