झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी के पति के चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) सुमन कुमार ने सुजीत बनकर पााकुड़ के जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप कुमार साह से एक करोड़ रुपये वसूले थे. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा जारी जांच पड़ताल के दौरान इस बात की जानकारी मिली है. खनन पदाधिकारी ने इस बात को स्वीकार भी कर लिया है.
माइनिंग क्षेत्र से जिला खनन पदाधिकारियों के माध्यम से की जानेवाली अवैध वसूली के सिलसिले में जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली है कि सुमन कुमार सिंह फर्जी नाम से भी पैसों की वसूली करता था. पाकुड़ के जिला खनन पदाधिकारी से पैसों की वसूली के लिए वह अपना नाम सुजीत कुमार सिंह बताया करता था.
जांच में इस बात की भी जानकारी मिली है कि विभागीय स्तर पर हुई एक बैठक के बाद उसे अपने जिले के लीज धारकों से प्रति माह कम से कम 25 लाख रुपये की दर से वसूली का निर्देश दिया गया था. इस निर्देश के बाद प्रदीप कुमार साह ने अपने जिले में लीज धारकों से इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए एक बैठक बुलायी थी.
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बैठक में कोई लीज धारक सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक दर पर रॉयल्टी का भुगतान करने के लिए तैयार नहीं था. उसे विभाग की ओर से यह निर्देश दिया गया था कि वह बोल्डर पर 132 रुपये प्रति घन मीटर के बदले लीज धारकों से 250 रुपये प्रति घन मीटर की दर से रॉयल्टी की वसूली करेगा.
नियमानुसार बोल्डर के लिए निकाले गये पत्थर पर 132 रुपये प्रति घन मीटर और बोल्डर का इस्तेमाल चिप्स के लिए करने पर 250 रुपये घन मीटर की दर से रॉयल्टी वसूलने का प्रावधान है. बैठक में कोई लीजधारक 100 प्रतिशत पत्थर पर 250 रुपये की दर से भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हुआ. बाद में किसी तरह लीजधारकों से वसूली की प्रक्रिया शुरू हुई.
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इसके बाद उसे किसी सुजीत सिंह नामक व्यक्ति ने विभागीय अधिकारियों का हवाला देते हुए डंगराटोली चौक स्थित पैंटालूंस भवन के पास मिलने के लिए बुलाया. फोन करने वाले व्यक्ति ने अपना नाम सुजीत कुमार सिंह बताया था. पैंटालूंस के पास हुई मुलाकात के बद वह अपने किसी आदमी को पैसा लेने के लिए भेजता था.
उसे सुजीत सिंह द्वारा भेजे गये आदमी को नवंबर 2021 में 15 लाख रुपये, दिसंबर में 25 लाख रुपये, जनवरी 2022 में 25 लाख रुपये और उसके बाद 22 लाख रुपये देने की बाद याद है. इसके कुछ महीनों बाद वसूली की प्रक्रिया बंद कर दी गयी थी. इडी ने जांच में पाया कि पाकुड़ के जिला खनन पदाधिकारी की बात जिस नंबर पर सुजीत कुमार सिंह से होती थी, वह सुमन कुमार सिंह का था. सुमन कुमार सिंह ही इससे सुजीत सिंह के नाम से संपर्क करता था और पैसे की वसूली करता था.