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प्रभात खबर 40 वर्ष: लीक से अलग हटकर की पत्रकारिता इसलिए है लोगों की है पहली पसंद

प्रभात खबर ने खबरों के संसार से अलग सामाजिक सरोकार से भी गहरा जुड़ाव रहा है. गांव-देहात, जरूरतमंद लोगों का दर्द बांटा. प्रतिवाद की ताकतों को हमने आवाज देने की कोशिश की.

प्रभात खबर अपने सफर के 40वें साल में प्रवेश कर रहा है़ इस सफर में प्रभात खबर के सुधि पाठक मजबूत डोर से बंधे हमसफर की तरह रहे. हर उतार-चढ़ाव और संघर्ष के साक्षी रहे. लाखों पाठकों की ही ताकत है कि अखबार भी सच के साथ खड़ा है. लीक से अलग हटकर पत्रकारिता करते हुए प्रभात खबर ने भ्रष्टाचार करनेवालों को बेपर्दा किया. आईना दिखाया.

खबरों के संसार से अलग सामाजिक सरोकार से भी गहरा जुड़ाव रहा है. गांव-देहात, जरूरतमंद लोगों का दर्द बांटा. प्रतिवाद की ताकतों को हमने आवाज देने की कोशिश की. अपनी माटी के सामाजिक-सांस्कृतिक उत्थान-उत्कर्ष के लिए संघर्ष करने वालों के साथ अखबार कंधे से कंधे मिला कर चला. यह सब सामर्थ्य-ताकत प्रभात खबर ने पाठकों के अटूट स्नेह से हासिल की.

प्रभात खबर मुझे पसंद क्यों है

हर सुबह बड़ी बेकरारी से प्रभात खबर का इंतज़ार करता रहता हूं. बालकनी में बैठ कर हॉकर की राह ताकना रोज़मर्रा की बात है. जब से प्रभात खबर प्रकाशित हो रहा है, इसका पाठक रहा हूं . खबरों के चयन के लिए आम फ़हम अल्फ़ाज़ को सलीके से सजाना, खबरों को ईमानदारी से पेश करना, निडर और बेबाकी का सबूत देना, चमन के हर फूल की नज़ाकत को समझ कर उसकी खुशबू को बरकरार रखना, आम जनता और सरकारों के बीच तालमेल रखना, समाज के हर तबके को खुश रखना और बुरे को बुरा व भले को भला कहना ही इस अखबार की विशेषता है. समाज की सभी विख्यात विभूतियों को समय-समय पर सम्मानित करना और पाठकों के लिए भव्य आयोजन करना जैसी खूबियां जिस अखबार को मयस्सर हैं, उसे ही प्रभात खबर कहते हैं. इन्हीं विशेषताओं ने प्रभात खबर को अपने प्रदेश में पाठकों ने अव्वल दर्जा प्रदान किया है.

– नसीर अफ़सर ,शायर व लेखक

प्रभात खबर का विकल्प नहीं

मैं प्रभात खबर पिछले 23 वर्षों से लगातार पढ़ रही हूं. जिस दिन अखबार नहीं मिलता है या हॉकर दूसरा अखबार फेंक कर चला जाता है, ऐसा लगता है जैसे आज कुछ कमी है. प्रभात खबर अखबार का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. पहले हर दिन सप्लीमेंट आता था, जिसे फिर से शुरू करना चाहिए. अखबार का लोकल न्यूज और संपादकीय अच्छा है. शहर से बाहर भी जाती हूं, तो अखबार बंद नहीं करती.

अनुपमा झा, शिक्षक, केराली स्कूल, प्राइमरी विंग

आज भी बरकरार है विश्वसनीयता

30 वर्षों से प्रभात खबर पढ़ रही हूं. अखबार नहीं आंदोलन सही में चरितार्थ होता है. लोकल अखबार होने के कारण इसमें पूरे झारखंड की खबरें मिलती हैं. स्कूल जाने से पहले अखबार जरूर देख कर जाती हूं. सोशल मीडिया के बावजूद प्रभात खबर की विश्वसनीयता कायम है.

अनुपमा श्रीवास्तव, शिक्षक जेवीएम श्यामली स्कूल

लोगों की बातों को मजबूती से रखें

मैं पिछले 15 साल से अखबार का नियमित पाठक हूं. सुबह उठने के बाद सबसे पहले अखबार पढ़ता हूं, इस अखबार में लोकतांत्रिक मूल्यों व निष्पक्ष खबर देखने को मिलती है. अखबार इसी तरह अपनी बातों को मजबूती के साथ रखे. हमलोगों की शुभकामना प्रभात खबर के साथ है. इसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं.

-प्रो मुश्ताक अहमद, डोरंडा कॉलेज

40 सालों से रहा है जुड़ाव

कई बार सही सूचना के अभाव में हम अपने सुरक्षा तंत्र को कमजोर कर लेते हैं, ऐसे में जरूरी है कि समाचार पत्र पर भरोसा करें. मैंने 14 अगस्त 1984 से प्रभात खबर पढ़ना शुरू किया और आज तक ये सिलसिला जारी है. मेरे दिन की शुरुआत समाचार पत्रों के साथ ही होती है. आज प्रभात खबर हमारे परिवार का सदस्य बन चुका है.

-रंजना प्रियंवदा, शिक्षाविद्,

मेरे लिए अखबार का मतलब ही प्रभात खबर

20 वर्ष से अधिक समय से प्रभात खबर का नियमित पाठक हूं. मेरे लिए अखबार का मतलब ही प्रभात खबर है. मेरी किराने की दुकान है. सुबह दुकान खुलने से पहले ही अखबार पहुंच जाता है. दुकान खोलने के साथ ही पहले अखबार पढ़ते हैं. आसपास और झारखंड पेज की खबर नियमित रूप से पढ़ते हैं. इससे राजधानी के आसपास के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों की गतिविधियों की जानकारी मिल जाती है.

– जनक महतो, कांके, केदल

मुझे लोकल न्यूज के साथ सुरभि परिशिष्ट काफी पसंद है

मैं 18 सालों से प्रभात खबर पढ़ती रही हूं. प्रभात खबर का कैंपस पेज सबसे ज्यादा प्रभावशाली रहता है. युवाओं के बीच कैंपस और सिटी की खबरों के लिए प्रभात खबर ही पहली पसंद है. हमारे घर में सभी की पसंद प्रभात खबर ही है. मुझे लोकल न्यूज के साथ सुरभि काफी पसंद आती है. वहीं हर छोटी- छोटी जानकारी प्रभात खबर में मिल जाती है. यही कारण है कि लोगों के बीच प्रभात खबर अपनी जगह स्थापित कर चुका है.

सरिता श्रीवास्तव, समाजसेविका, सेल सिटी

15 सालों से पढ़ रही हूं अखबार

मैं पिछले 15 सालों से प्रभात खबर पढ़ रही हूं. एक शिक्षिका होने के नाते भी अपने प्राइमरी स्कूल की प्रार्थना सभा में पांच मिनट के न्यूज सेशन में बच्चों को प्रभात खबर ही पढ़वाती हूं. धन्यवाद प्रभात खबर.

बीना गुप्ता, शिक्षिका, बसंत विहार

आज भी कायम है प्रभात खबर की पत्रकारिता की धार

अभी कल की बात लगती है, जब शहर में चर्चा थी कि एक नया अखबार आने को है. 14 अगस्त 1984 को प्रभात खबर के पहले अंक को पढ़ने का सुअवसर मुझे भी प्राप्त हुआ था, एक छात्रा के रूप में. तब प्रभात खबर को हाथों हाथ अपना लिया गया. आज भी धार वही है़

नूतन प्रसाद ,कार्यक्रम अधिशासी , आकाशवाणी रांची

अखबार नहीं आंदोलन को चरितार्थ करता है यह

जब से रांची आयी, तब से मेरा रिश्ता प्रभात खबर के साथ है. आज भी दिन की शुरुआत प्रभात खबर से ही होती है. प्रभात खबर वाकई एक अखबार हीं नही, आंदोलन है. और इस आंदोलन में हमें भी शामिल किया जाता है. यह बहुत गौरवान्वित करता है. प्रभात खबर खूब फले फूले.

सुषमा नागपाल , पूर्व शिक्षिका

35 वर्षों से हर सुबह प्रभात खबर दे रहा दस्तक

मुझे याद है कि मैं 1997-98 से प्रभात खबर पढ़ रही हूं. पिछले 35 वर्षों से हर सुबह प्रभात खबर देश-दुनिया की खबरों के साथ दस्तक दे रहा है. आज समाचार माध्यम बदल गये हैं, लेकिन टीवी-मोबाइल के इस दौर में भी बिना प्रभात खबर पढ़े आधा-अधूरा सा लगता है.

रजनी सिन्हा, गृहिणी, कडरू

प्रभात खबर से होती है दिन की शुरुआत

हमारा पूरा परिवार प्रभात खबर की स्थापना के दिन से आज तक नियमित पाठक रहा है. मेरे दिन की शुरुआत ही प्रभात खबर पढ़ने से होती है. इसमें सारी जानकारी मिलती है. मैं स्वस्थ जीवन जी रहा हूं और काफी सक्रिय रहता हूं, इसके लिए अपने ईश्वर और प्रभात खबर के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. प्रभात खबर 40 सालों से मेरी जानकारी बढ़ाने का काम कर रहा है. प्रभात खबर के पूरे परिवार को इसके 40वें स्थापना दिवस पर असीम शुभकामनाएं. इतनी कम कीमत पर शानदार अखबार देने के लिए अखबार प्रबंधन का शुक्रिया कहना चाहता हूं. सरल भाषा और प्रभावशाली प्रस्तुति इस अखबार को बेहतर बनाती है. यह दूसरे अखबारों से कई मामलों में आगे है. हमारा सुझाव है कि विदेशी एक्सपर्ट्स और शोधकर्ताओं को भी देश के अन्य चिंतकों की राय के बीच में जगह देनी चाहिए. जिनमें मोहम्मद युनूस (इकोनॉमिक्स), डॉ अभिजीत विनायक बनर्जी (इकोनॉमिक्स), डॉ डेविड जूलियस (मेडिसिन) के विचारों को शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव इंटरैक्टिव क्विज युवाओं और बच्चों की रुचि बढ़ा सकता है. वहीं फ्रंट पेज पर ग्रीन जर्नलिज्म को भी प्रोमोट करना चाहिए.

(कोकर बैंक काॅलोनी निवासी 97 साल के समरजीत कुमार चटर्जी ने प्रभात खबर को अपना शुभकामना संदेश दिया है.)

प्रभात खबर के बिना अधूरापन सा लगता है

मैं प्रभात खबर अखबार को करीब 28-30 साल से नियमित पढ़ रहा हूं. उतना याद नहीं है कि कब से अखबार हमारे यहां आना शुरू हुआ. छुट्टी या किसी अन्य वजह से अखबार नहीं आया, तो पूरा दिन अधूरापन जैसा लगता है. सुबह की शुरुआत प्रभात खबर के समाचारों से होती है. इसमें छोटी जानकारी भी सही और तथ्य से परिपूर्ण होगी, इसका विश्वास रहता है. खबरों के साथ सामाजिक सरोकार का कार्य भी अखबार द्वारा किया जाता है, जो प्रशंसनीय है. सरकार काे आइना दिखाने का काम प्रभात खबर लगातार करता आ रहा है. अब जरूरत है रांची को आइटी और एजुकेशन हब बनाने की, क्योंकि इससे राज्य के युवा शैक्षणिक रूप से मजबूत होंगे.

-डॉ एसपी मुखर्जी, जाने-माने चिकित्सक

सब कुछ होता है प्रभात खबर में

मेरा प्रभात खबर से नाता 25 वर्षों से भी पुराना है. मुझे प्रभात खबर सबसे अलग और खास लगता है. इसमें सब कुछ (सारी खबरें) होता है. सबसे बड़ी बात है कि इस अखबार में पब्लिक का मुद्दा पूरी तरह से उठाया जाता है.

सुरेश रजक, सेवानिवृत्त नगर निगम कर्मी

हर क्षेत्र की खबरों का रहता है संग्रह

वर्ष 1991 से प्रभात खबर का पाठक हूं. यह संपूर्ण अखबार है, जिसमें हर क्षेत्र की खबरों का संग्रह रहता है. प्रभात खबर में छपी खबरों की विश्वसनीयता रहती है. यह जन सरोकार से जुड़े मामलों को हमेशा उठाता रहता है

-संजय पिपरावाल, अधिवक्ता

लगातार 33 वर्षों से पढ़ रहा हूं प्रभात खबर

वर्ष 1990 से प्रभात खबर पढ़ रहा हूं. इस अखबार से आत्मीय लगाव है. सुबह में अखबार नहीं पढ़ता हूं, तो लगता है कि कुछ खो गया है. सबकी आवाज है प्रभात खबर. प्रभात खबर ने कभी पक्षपात नहीं किया है.

-राजेश कुमार शुक्ला, अधिवक्ता

प्रभात खबर पढ़े बिना संतोष नहीं होता

प्रभात खबर पढ़े बिना संतोष नहीं होता है. एक-एक खबर पढ़ता हूं. अपने शहर की पूरी खबर इसमें रहती है. इसके साथ ही देश की प्रमुख खबरें भी होती हैं. लेकिन यह अखबार अपने झारखंड का अखबार लगता है.

– विनोद साव, दुकानदार, डोरंडा बाजार

40 साल पुरानी आदत है, छूटती ही नहीं

मेरा प्रभात खबर के साथ 40 साल से नाता रहा है. जब से यह अखबार शुरू हुआ है, तब से मैं इसे पढ़ रहा हूं. दूसरे किसी अखबार को पढ़ने का मन नहीं करता है. इसकी आदत छूटती नहीं है.

राजकुमार साहु, अधिवक्ता बोड़ेया

गांव से लेकर विदेश तक की खबर

प्रभात खबर एक नशा है. नहीं पढ़ने से लगता है कि कुछ छूट रहा है. जिस दिन छुट्टी रहती है, उस दिन भी अखबार की जरूरत महसूस होती है. इसमें गांव-घर से लेकर देश-विदेश तक की खबर मिल जाती है.

राम लगन केसरी, पिठोरिया, 86 साल

हॉकर बोले : हम सब साथ-साथ

पाठकों के दिलों पर करता है राज

मैं 1987 से प्रभात खबर से जुड़ा हूं. अखबार के मामले में सबसे ज्यादा लोगों का रुझान प्रभात खबर के प्रति ही है. इसके पाठक मजदूर वर्ग से लेकर ऑफिसर तक हैं. किसी दिन अगर अखबार मिलने पर पाठकों को देरी हो जाती है, तो कई फोन आने लगते हैं. प्रभात खबर ने कोरोना काल में हॉकरों की मदद की. राशन, दवा, सेनिटाइजर और गमछा उपलब्ध कराये.

गोरखनाथ सिंह, हरमू हाउसिंग कॉलोनी

इसके हर अभियान से हॉकर जुड़े रहे हैं

हमारे सामने ही प्रभात खबर आया है. प्रभात खबर के हर अभियान में हॉकर जुड़े रहे हैं. शुरू-शुरू में पाठकों को जब प्रभात खबर देने लगे, तो लोगों का खबर के कारण इसके प्रति रुझान बढ़ता गया. आज भी अगर किसी पाठक को प्रभात खबर समय पर नहीं मिले, तो हॉकरों को फोन आने लगते हैं. प्रभात खबर हर पाठक के मन में बसा हुआ है. पाठक के लिए यह सच्चा अखबार है.

हर्ष नारायण झा, न्यू साकेत नगर

पाठक की बात को मिलती है ज्यादा जगह

1987 से प्रभात खबर से जुड़ा हूं. प्रभात खबर में पाठक के मन की बात को ज्यादा जगह मिलती है. सभी वर्गों के लोग प्रभात खबर पढ़ते हैं. अन्य अखबारों की तुलना में प्रभात खबर पहले पढ़ते हैं, क्योंकि लोकल न्यूज प्रमुखता से छपती है. इस अखबार पर छात्र वर्ग के लोगों का ज्यादा भरोसा रहता है. युवाओं के बीच भी प्रभात खबर का अच्छा रिस्पांस है.

गंगा प्रसाद राय, मोरहाबादी

अखबार प्रबंधन हमेशा हॉकरों के साथ रहता है

प्रभात खबर पाठकों के दिलों पर राज करता है. विपरीत परिस्थितियों में भी अखबार प्रबंधन हम अखबार वितरकों के साथ खड़ा रहता है.कोरोना काल हम सभी अखबार वितरकों के लिए मुश्किल का वक्त था. उस मुश्किल हालात में भी प्रभात खबर प्रबंधन ने हम अखबार वितरकों का न सिर्फ हौसला बढ़ाया, बल्कि कदम से कदम मिला कर काम भी किया.

दीनानाथ प्रसाद, अखबार वितरक, मेन रोड , रांची

हर सुबह पाठकों को रहता है प्रभात खबर का इंतजार

1980 से अखबार वितरण के काम में लगे हैं. इस अवधि में अखबार जगत में कई उतार-चढ़ाव को देखा, लेकिन प्रभात खबर का पोजिशन बरकरार रहा, क्योंकि प्रभात खबर न सिर्फ खबरों में आगे रहा, बल्कि प्रबंधन ने भी अपने कार्यों से हमेशा हम अखबार वितरकों को यह भरोसा दिलाया कि हम आपके हैं और आप हमारे. इस डिजिटल युग में भी प्रभात खबर का इंतजार रहता है.

सिया बिहारी शर्मा, अखबार वितरक, कोकर, रांची

प्रबंधन का हॉकरों के साथ है अपनापन का भाव

लगभग 40 वर्षों से अखबार वितरण के काम में लगे हैं. निश्चित तौर पर दौर बदला है, लेकिन आज भी हर सुबह पाठकों को प्रभात खबर का इंतजार रहता है. तय समय से थोड़ा विलंब होने पर पाठक फोन कर पूछते हैं कि आज अखबार नहीं आया क्या? पाठक और वितरक का भावनात्मक जुड़ाव हो जाता है. प्रबंधन का अखबार वितरकों के प्रति अपनापन और स्नेह मनोबल बढ़ाता है.

प्रभुनाथ प्रसाद, अखबार वितरक, डोरंडा, रांची

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