झारखंड के 10 जिलों में पिछले पांच से 10 वर्षों से 28 पुलों के निर्माण का काम अधूरा है. इन पुलों की कुल लागत 57.13 करोड़ रुपये है. इसमें से अब तक 20.69 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं. सबसे ज्यादा अधूरे पुलों की संख्या पश्चिम सिंहभूम में है. सिर्फ तीन ही जिले ऐसे हैं, जहां अधूरे पुलों की संख्या एक-एक है. इन पुलों के निर्माण का काम ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत शुरू किया गया था.
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 10 जिलों में वित्तीय वर्ष 1011-12 से 2018-19 के बीच स्वीकृत पुलों में से 28 का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है. इनमें से छह पुलों पर अब तक एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन छह पुलों का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ है. इसमें से पांच पुल पश्चिम सिंहभूम जिले में और एक पुल साहिबगंज जिले में हैं. सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बेहतर करने के उद्देश्य से पुलों के निर्माण की योजना स्वीकृत की थी.
पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा और बंदगाव प्रखंड में कुल 8.82 करोड़ रुपये की लागत पर आठ पुलों के निर्माण की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में दी गयी थी. इसमें से अब तक एक भी पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. हालांकि, इन योजनाओं पर 2.61 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. साहिबगंज जिले में वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान 66.27 लाख रुपये पर स्वीकृत पुल के निर्माण पर अब तक एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है.
गिरिडीह जिले में भी वित्तीय वर्ष 2018-19 में स्वीकृत दो पुलों के निर्माण पर अब तक एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है. इन दोनों पुलों को कुल 9.32 करोड़ रुपये का लागत पर स्वीकृत किया गया था. आंकड़ों के अनुसार, चतरा जिले में 8.40 करोड़ रुपये की लागत पर स्वीकृत तीन पुलों के निर्माण पर 4.60 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. हालांकि, एक भी पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका है.
लातेहार जिले में वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान कुल 8.29 करोड़ रुपये की लागत पर पांच पुलों के निर्माण की स्वीकृति दी गयी थी. इन पुलों के निर्माण पर पिछले 10 वर्षों के दौरान कुल 2.21 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. हालांकि, एक भी पुल का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है.