अभियोजन पक्ष (इडी) की कहानी एक ऐसे क्राइम थ्रिलर की याद दिलाती है, जिसमें राज्य खामोश हो जाता है और आपराधिक गुट राजनीतिक सहयोग से प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे के लिए संघर्ष करते हों. दिलचस्प बात यह है कि अभियुक्त के ठिकाने से दो एके-47 मिले थे, जो उन सुरक्षा गार्डों के थे, जो उसके यहां तैनात नहीं थे.
अवैध खनन में मनी लाउंड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार प्रेम प्रकाश की जमानत याचिका रद्द करने से संबंधित आदेश में न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने यह बात कही है. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इडी की ओर से साहिबगंज में अवैध खनन की गतिविधियों का उल्लेख किया गया था.
इडी की ओर से बरहरवा टोल विवाद का उल्लेख करते हुए यह कहा गया था कि यह मामला खनिजों की बेरोक-टोक ढुलाई के लिए टोल पर कब्जा करने से संबंधित था. शिकायतकर्ता शंभुनंदन को धमकी दी गयी थी और टोल के टेंडर में हिस्सा नहीं लेने का निर्देश दिया गया था. पंकज मिश्रा के इस निर्देश का उल्लंघन कर टेंडर डालने पर उस पर हमला किया गया.
पंकज मिश्रा के नाम पर महाकाल स्टोन वर्क्स के नाम पर माइनिंग लीज था, लेकिन उसने अपने रसूख और राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल करते हुए दूसरे के नाम पर आवंटित माइनिंग लीज पर भी कब्जा जमा लिया था. वह अवैध खनन में शामिल था. इडी की ओर से प्रेम प्रकाश द्वारा अवैध खनन से होनेवाली काली कमाई को मनी लाउंड्रिंग के सहारे जायज करार देने की कोशिश करने का ब्योरा भी पेश किया गया था.
इसमें उसकी कंपनी के खातों से किये गये लेन-देन और उससे की गयी पूछताछ के दौरान दिये गये जवाब का उल्लेख किया गया था. इडी ने प्रेम प्रकाश के प्रभाव और रसूख को साबित करने के लिए उसके घर से बरामद एके-47 राइफल की जानकारी अदालत को दी थी.
साथ ही यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा के लिए तैनात किये गये जवानों द्वारा प्रेम प्रकाश को सुरक्षा दी जाती थी. अभियुक्त प्रेम प्रकाश की ओर से इडी द्वारा लगाये गये आरोपों को गलत बताया गया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि प्रेम प्रकाश के खिलाफ अवैध खनन के मामले में कहीं भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है.
जांच की, उसमें भी वह अभियुक्त नहीं है. प्रेम प्रकाश की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के बर्खास्त कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल द्वारा लगाये गये आरोपों को भी गलत बताया गया .सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने प्रेम प्रकाश को जमानत देने से इनकार कर दिया.
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियोजन पक्ष की कहानी एक ऐसे क्राइम थ्रिलर की याद दिलाती है, जिसमें सरकार खामोश हो और आपराधिक गुट प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे के लिए लड़ रहे हों. इस मानव लोलुपता के केंद्र में राजमहल पहाड़ी है, जो साहिबगंज, पाकुड़ से होते हुए दुमका तक फैली हुई है और निर्माण कार्यों में इस्तेमाल के लिए काले पत्थर से चिप्स बनाने के लिए बनी हो.