रांची : झारखंड के निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों का इलाज करना होगा. वे अपने मरीज को कोरोना संक्रमित होने के बाद रेफर नहीं कर सकते. स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों के लिए नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है.
एसओपी में लिखा गया है कि प्राय: ऐसा देखा जा रहा है कि निजी अस्पताल कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इच्छुक नहीं हैं. जैसे ही मरीज पॉजिटिव पाये जाते हैं, उन्हें राज्य के सार्वजनिक अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल मरीजों की पसंद के अस्पताल की अनदेखी कर उनके अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं. कई बार ऐसा देखा जाता है कि कोविड-19 के संदिग्ध मरीज को जिला प्रशासन को सूचना दिये बिना ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है.
निजी अस्पतालों को अपने यहां आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा. 30 से 50 बेड के अस्पताल को पांच बेड और 50 बेड से अधिक के अस्पताल को 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा. कम से कम दो वेंटिलेटर, पीपीइ किट और एन 95 मास्क की व्यवस्था करनी होगी.
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मरीज किसी अन्य बीमारी के इलाज के लिए भर्ती हुआ है और कोरोना संक्रमित पाया जाता है, तब भी उसका इलाज उसी अस्पताल में होगा.
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यदि किसी मरीज को रेफर करना जरूरी है, तो आवश्यक कारण बताना होगा.
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आयुष्मान भारत में सूचीबद्ध अस्पतालों को हर हाल में आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा.
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किसी मरीज को यदि सांस की तकलीफ है, तो तत्काल कोविड-19 जांच के लिए कहें. उसकी जानकारी जिला प्रशासन को दें.
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ओपीडी में अलग से स्क्रीनिंग की व्यवस्था हो. कोई मरीज पॉजिटिव पाया जाता है या निगेटिव, इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दें.
पैथोलॉजी लैब
सिंपटोमेटिक मरीज पाने पर जिला प्रशासन को सूचना दें, ताकि उन्हें कोरेंटिन किया जा सके.
मरीज की पॉजिटिव या निगेटिव रिजल्ट आने पर जिला प्रशासन को अविलंब सूचना उपलब्ध करायें.
Posted by : Pritish Sahay